नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में वहां के सुरक्षाबलों द्वारा लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों को दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। कश्मीर घाटी में व्याप्त तनाव का समाधान ढूंढ़ने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मोदी ने यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर घाटी में तनाव की वजह पाकिस्तान की सरपरस्ती में सीमा पार आतंकवाद है।
कश्मीर घाटी में व्याप्त तनाव का समाधान ढूंढ़ने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मोदी ने कहा, “कश्मीर में तनाव की वजह आतंकवाद है, जिसका पड़ोसी मुल्क समर्थन कर रहा है।”
प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कहा, “पाकिस्तान भूल गया है कि वह अपने ही लोगों पर बम बरसा रहा है। पाकिस्तान को दुनिया को यह बताने का समय आ गया है कि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तथा बलूचिस्तान के लोगों पर क्यों अत्याचार कर रहा है।”
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बैठक में शामिल सभी भागीदारों ने कहा कि घाटी के हालात को सामान्य किया जाना चाहिए। लेकिन मोदी ने जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता।
मोदी ने कहा, “हमें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों का विश्वास जीतना है। केंद्र व राज्य सरकार प्रदेश के लोगों की तमाम शिकायतों का निपटारा करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन हम आतंकवाद तथा भारत विरोधी गतिविधियों के खिलाफ सख्ती को कम नहीं कर सकते।”
जानकार सूत्रों ने आईएएनएस से कहा कि बैठक में हालांकि सर्वसम्मति नहीं बन सकी कि आखिर किस प्रकार घाटी में तनाव को दूर करेंगे। अधिकांश विपक्षी पार्टियों ने सरकार से जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादियों सहित तमाम पक्षों से वार्ता शुरू करने की अपील की।
लेकिन सरकार अलगाववादियों के साथ वार्ता करने के पक्ष में नहीं दिख रही।
जेटली ने कहा, “सभी पार्टियों का एक ही दृष्टिकोण है कि आतंकवाद व अलगाववाद से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होगा। जहां तक वार्ता की बात है, तो यह मुख्यधारा की सभी पार्टियों, व्यापारियों व नागरिक समाज (जम्मू एवं कश्मीर) से पहले से ही जारी है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार को कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में किसी तरह के सकारात्मक कदम का पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है।
आजाद ने कहा, “यदि कोई गलती हुई है, तो हमें उसे सुधारना चाहिए। उनकी पार्टी तभी संतुष्ट होगी, जब घाटी में शांति बहाल हो जाएगी।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि उन्होंने सरकार से सभी पक्षों से बात करने की अपील की है। हम पहले भी यह कर चुके हैं। हमें इसे एक बार फिर करना है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी.राजा ने भी सभी पक्षों से बातचीत की जरूरत पर जोर दिया।
मोदी ने घाटी में प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों पर दुख जताया है।
उन्होंने कहा, “यह बात मायने नहीं रखती कि मरने वाले नागरिक हैं या सुरक्षाकर्मी। हम उनके लिए दुख जताते हैं। उनके परिवारों के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है।”
मोदी ने कहा, “मैं जम्मू एवं कश्मीर के वर्तमान हालात से दुखी हूं। यह बेहद दुखदायक है कि बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, दुकानदार दुकानें नहीं खोल रहे और यहां तक कि सरकारी कर्मचारी लोक हित का कोई काम नहीं कर पा रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार हिंसा में घायल हुए लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने को प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “हम भी चाहते हैं कि घाटी में शांति हो, ताकि स्थानीय लोग सामान्य जीवन जी सकें, आजीविका कमा सकें, बच्चों को स्कूल भेज सकें और चैन से सो सकें।”
इससे पहले लोकसभा ने जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति पर एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया और घाटी के लोगों खासकर युवाओं का विश्वास पुन: जीतने की प्रतिबद्धता जताई।