नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को मीडिया से सार्वजनिक हितों की निगरानी करने वाले की भूमिका निभाने और उपेक्षित लोगों की आवाज बनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भावनाओं को तर्क पर हावी नहीं होने देना चाहिए और असहमति को बहस और चर्चा से अभिव्यक्त करना चाहिए।
भारतीय प्रेस परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि पत्रकारों को बुराइयों और उन वंचनाओं को सामने लाना चाहिए, जिन्होंने आज भी बड़ी संख्या में लोगों को परेशान किया हुआ है।
मुखर्जी ने कहा, “मीडिया की शक्ति का इस्तेमाल हमारी नैतिक दिशा को दुरुस्त करने और उदारवाद, मानवतावाद और सार्वजनिक जीवन में शालीनता को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए। विचार स्वतंत्र होते हैं लेकिन तथ्य पवित्र।”
उन्होंने कहा, “फैसला सुनाने में एहतियात बरतनी चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां कानूनी प्रक्रिया का पूरा होना अभी बाकी हो। हमें नहीं भूलना चाहिए कि करियर और प्रतिष्ठा बनाने में सालों लग जाते हैं, लेकिन ध्वस्त होने में चंद मिनट।”
इस साल के राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर विचार के केंद्र बिंदु का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “काटरूनिस्ट अपने समय के मिजाज को पकड़ता है और उसकी कला ही यही है कि किसी को तकलीफ पहुंचाए बिना उस पर व्यंग्य किया जाए। कुछ ब्रश जो कर जाते हैं वह लंबे लेख नहीं कर पाते। भारतीय कार्टूनिस्टों के पितामह वी.शंकर से पंडित जवाहर लाल नेहरू कहा करते थे, ‘मुझे छोड़ना मत, शंकर’।”
राष्ट्रपति ने इस मौके पर पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिए।
इस साल पुरस्कार पाने वालों में आईएएनएस के अगरतला ब्यूरो के प्रमुख सुजीत चक्रवर्ती भी शामिल हैं।