पटना, 16 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार में लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन सोमवार को ‘खरना’ के साथ पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। सूर्य उपासना में जुटे छठव्रती सूर्यास्त के बाद प्रसाद बनाकर खरना किया। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे तक का निर्जला उपवास शुरू हो गया।
पटना के गंगा तटों पर व्रती बड़ी संख्या में जुटे। व्रती गंगा नदी में स्नान कर मिट्टी के बने चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर गुड़ से बनी खीर और घी लगी सोहारी तैयारकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना कर ‘खरना’ किया और सुख-समृद्धि की कामना की। खरना को ‘लोहड़ा’ भी कहा जाता है।
खरना के बाद आसपास के लोग भी व्रती के घर पहुंचकर प्रसाद मांग कर प्रसाद ग्रहण किया।
गौरतलब बात है कि इस प्रसाद के लिए लोगों को बुलाया या निमंत्रण नहीं दिया जाता] बल्कि खुद लोग व्रती के घर प्रसाद लेने पहुंचते हैं। कई लोग जहां गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे ‘खरना’ करते हैं, वहीं कई लेाग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं।
खरना के साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। पटना सहित बिहार के शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मइया के गीत गूंज रहे हैं। छठ को लेकर सभी ओर रोशनी की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
मंगलवार को छठव्रती जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य तथा बुधवार को उदीयमान भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के बाद पारण के साथ महापर्व छठ पर्व संपन्न हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि रविवार को ‘नहाय-खाय’ के साथ ही चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया था।
छठ को लेकर पटना के गंगा तट पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। सभी छठ घाटों पर क्विक रिएक्शन टीम की तैनाती की गई है। इस टीम में जिला पुलिस बल और विशेष कार्य बल (एसटीएफ ) के जवानों को शामिल किया गया है।