पटना, 17 मई (आईएएनएस)। बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी के बाद राज्य सरकार ने शराब कारोबारियों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दूध के व्यपार से जोड़ने की पहल भले ही शुरू कर दी हो, लेकिन शराब बेचने वालों को दूध बेचने का धंधा नहीं भा रहा है।
पटना, 17 मई (आईएएनएस)। बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी के बाद राज्य सरकार ने शराब कारोबारियों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दूध के व्यपार से जोड़ने की पहल भले ही शुरू कर दी हो, लेकिन शराब बेचने वालों को दूध बेचने का धंधा नहीं भा रहा है।
राज्य में शराबबंदी के 45 से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद करीब 5500 दुकानदारों में से मात्र 27 दुकानदारों ने शराब की जगह दूध बेचने को राजी हुए। सरकारी स्तर पर दूध का व्यवसाय करने वाली एजेंसी बिहार स्टेट मिल्क कोऑपरेटिव फेडरेशन (कम्फेड) के समक्ष 27 शराब दुकानदारों की अर्जी आई है। आवेदन देने वाले सभी दुकानदार पटना के ही हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी लागू करते समय कहा था कि जाहिर है, शराबबंदी के बाद इससे जुड़े लोग बेरोजगार होंगे। ज्यादातर शराब की दुकानें मुख्य स्थानों पर हैं, ऐसे में यहां डेयरी केंद्र खोला जाएगा तथा शराब की दुकान चलाने वाले लोगों को रोजगार प्रदान करेगा।
कॉम्फेड के एक अधिकारी ने बताया कि पटना के बाहर किसी भी जिले में एक भी शराब दुकानदार ने दूध बेचने को आगे नहीं आए हैं। पांच अप्रैल को सरकार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी थी। उस समय शराबबंदी के बाद खाली हुए शराब के दुकानों में सुधा दूध व अन्य दूध पर आधारित वस्तु बेचने का लाइसेंस देने का अफर दिया गया था।
कम्फेड की प्रबंध निदेशक सीमा त्रिपाठी ने बताया कि राज्य में अब तक 27 शराब विक्रेताओं ने पूर्व की शराब दुकानों में दूध बेचने के लिए लाइसेंस लिया है।
वैसे, कई शराब दुकानदारों ने कॉम्फेड से दूध बेचने के लाइसेंस के लिए संपर्क किया है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अनुसार, पटना के शहरी क्षेत्र में 162 शराब तथा पटना जिला में 424 शराब की दुकानें थीं। राज्य के सभी शहरी क्षेत्र में कुल 770 शराब की दुकान संचालित थे, जबकि राज्यभर में देसी और विदेशी शराब दुकानों की कुल संख्या 5467 थी।
इधर, बिहार शराब व्यवसायी संघ के अध्यक्ष रहे नवल किशोर सिंह कहते हैं कि सरकार को निवेश के अनुरूप किसी अन्य कारोबार का आफर शराब के व्यपारियों को देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि शराब दुकान के लिए जहां 10 लाख रुपये तक और नगर निगम व नगर परिषद क्षेत्र मे देशी या विदेशी शराब की दुकान के लिए जहां 50 हजार रुपये तक का निवेश करना पड़ता है, उसके हिसाब से सरकार का यह ऑफर तर्कसंगत नहीं है।
पटना डेयरी के द्वारा शराब कारोबारियों को भेजे गए ‘ऑफर लेटर’ में कहा गया है कि उन्हें सुधा दूध के प्रति लीटर बिक्री पर 1़10 रुपये बतौर कमीशन दिया जाएगा, जबकि दूध के अन्य उत्पाद की बिक्री पर छह प्रतिशत कमीशन देय होगा।