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बिहार : शिक्षाविदों ने शिक्षा मंत्री का बयान सही नहीं माना

पटना, 19 मार्च (आईएएनएस)। बिहार में मैट्रिक की परीक्षा में नकल रोकने को लेकर शिक्षा मंत्री प्रशांत कुमार शाही के बयान को शिक्षाविद सही नहीं मान रहे हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि नकल अगर सरकार नहीं रोक पाएगी तो आखिर इस कदाचार को कौन रोक पाएगा?

पटना, 19 मार्च (आईएएनएस)। बिहार में मैट्रिक की परीक्षा में नकल रोकने को लेकर शिक्षा मंत्री प्रशांत कुमार शाही के बयान को शिक्षाविद सही नहीं मान रहे हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि नकल अगर सरकार नहीं रोक पाएगी तो आखिर इस कदाचार को कौन रोक पाएगा?

मंत्री ने कहा है कि परीक्षा में नकल रोकना अकेले सरकार के वश की बात नहीं है, सामाजिक सहयोग भी जरूरी है।

पटना कॉलेज के प्राचार्य नवल किशोर चौधरी ने कहा, “मंत्री का यह बयान व्याख्या करने और सेमिनार के लिए सही हो सकता है, लेकिन इसका संदेश गलत है। कदाचार के लिए केवल सामाज को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।”

उन्होंने कहा कि मंत्री के बयान से यह साबित होता है कि पुलिस और सामान्य प्रशासन असफल हुआ है। प्राचार्य कहते हैं कि मंत्री के इस बयान बिहार की पूरे देश में किरकिरी हुई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा रूपी भवन पहले से ही ध्वस्त हो रहा है, अब इसे रोकने की जरूरत है लेकिन ऐसे बयानों से तो और जर्जर होगा।

प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मिथिलेश शर्मा ने मंत्री के इस बयान को सही नहीं मानते हुए कहा कि मंत्री का यह बयान कदाचार करवाने वालों को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षकों की कमी है, सुविधाओं की कमी है ऐसे में जरूरत प्रणाली सुधारने की है।

वह मानते हैं कि नकल रोकने में समाज का भी दायित्व है, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है कि आखिर सीबीएसई की 10वीं की परीक्षा में नकल क्यों नहीं होती?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित संस्थान सुपर 30 के संस्थापक और गणितज्ञ आनंद कुमार का मानना है कि शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “शिक्षा के लिए छात्रों को तैयार नहीं किया जाता और सीधे परीक्षा में बैठा दिया जाता है। सरकार को प्रत्येक स्तर में सुधार करने की आवश्यकता है, केवल दोषारोपण से या हाथ खड़ कर दिए जाने से काम नहीं चलने वाला।”

पटना विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर भारती एस़ कुमार ने कहा कि किसी भी परीक्षा में कुछ बच्चे ही कदाचार करते हैं और इसे रोकना प्रशासन की जवाबदेही है। उन्होंने कहा कि नकल रोकने के लिए समाज को आगे आना चाहिए परंतु सरकार की भी जवाबदेही है। उन्होंने कहा कि अगर विधि व्यवस्था खराब हो तो क्या इसके लिए समाज दोषी नहीं है, लेकिन विधि व्यवस्था को बनाए रखना सरकार का ही कर्तव्य होता है।

शिक्षा मंत्री शाही ने पटना में पत्रकारों से कहा कि कदाचार मुक्त परीक्षा करवाना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। यह अकेले सरकार के बूते की बात नहीं है, अभिभावकों की भी जिम्मेवारी है कि वे अपने बच्चों को परीक्षा में नकल करने से रोकें।

मंत्री ने कहा कि जो बच्चे को नकल करवा रहे हैं, वे भी अभिभावक हैं और उन्हें भी अपने बच्चों की चिंता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नकल करवाने में अभिभावक, परिवार और रिश्तेदार लोग ही सहयोग कर रहे हैं।

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