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भारतीय फुटबाल के हक में नहीं आईएसएल, आई-लीग : हकीम

नई दिल्ली, 26 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल के दिग्गज एस.एस. हकीम का मानना है कि आई-लीग और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में देश में फुटबाल को आगे ले जाने और इसका विकास करने की क्षमता नहीं है।

हकीम ने साल 1960 में रोम ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह अपने जमाने में मशहूर उम्दा भारतीय फुटबाल खिलाड़ियों में से एक थे।

हकीम ने आईएएनएस को बताया, “यह आई-लीग, आईएसएल कुछ नहीं करेंगे। अगर इनकी समाप्ती नहीं हुई और कोई नया टूर्नामेंट नहीं आया, तो भारतीय फुटबाल कहीं नहीं जाएगा। नए टूर्नामेंट शुरू होने चाहिए।”

हकीम ने कहा कि वह अपने जमाने में साल भर में 30 से 35 टूर्नामेंट खेलते थे और आज के समय में वह टूर्नामेंट कहां हैं? उनके अनुसार हर जिले में टूर्नामेंटों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

भारतीय दिग्गज साल 1974 से 1989 तक फीफा के रेफरी भी रह चुके हैं। उनके अनुसार आज के समय में खिलाड़ियों के लिए टूर्नामेंटों की कमी के कारण उनमें प्रतिभा का अभाव है और ऐसे में भारत विश्व स्तर की टीम नहीं बन सकती।

हकीम ने कहा, “हमारे समय में हमारा कौशल हमरी सबसे बड़ी संपत्ति था। तुलसीदास बालाराम, चुन्नी गोस्वामी, यूसुफ खान जैसे खिलाड़ी अफ्रीकाई और यूपोपियन खिलाड़ियों को नचाते थे। उनके लिए हमारे खिलाफ एक भी गोल करना नामुमकिन होता था।”

राष्ट्रीय खेल संस्थान के डीन ने कहा, “आज अगर आप देखें तो कौशल की बहुत कमी है। भारतीय टीम मुश्किल से तीन या चार गोल कर पाती है, जबकि विदेशी टीमें 10-20-25 गोल करती हैं।”

भारतीय फुटबाल के हक में नहीं आईएसएल, आई-लीग : हकीम Reviewed by on . नई दिल्ली, 26 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल के दिग्गज एस.एस. हकीम का मानना है कि आई-लीग और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में देश में फुटबाल को आगे ले जाने और इसका नई दिल्ली, 26 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल के दिग्गज एस.एस. हकीम का मानना है कि आई-लीग और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में देश में फुटबाल को आगे ले जाने और इसका Rating:
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