62 वर्षीय शेखर कैमरे की मरम्मत करने का काम करते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने 2004 में आई सुनामी के बाद पंछियों को खाना खिलाना शुरू किया। शेखर पर एक ऑनलाइन डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है।
उन्होंने बेजुबान पक्षियों का पेट भरने की शुरुआत उनकी रसोई में बच जाने वाले पके चावलों को खिलाकर की थी। वह अब रोजाना करीब 4,000 पक्षियों को खाना खिलाते हैं। वह तोतों के लिए एक बड़ा बर्तन भरकर चावल पकाते हैं और इस काम के लिए तड़के चार बजे उठते हैं। चावल पक जाने के बाद वह उन्हें करीने से लकड़ी के समांतर तख्तों पर फैला देते हैं। ऐसा करने से हजारों तोतों बड़ी आसानी से एक समय में उन चावलों को खा लेते हैं।
शेखर ने कहा, “मैं शायद दिन में एक बार खाना खाना भूल जाऊं, लेकिन इन तोतों को दिन में एक भी बार खाना देना नहीं भूलता।”