वाशिंगटन- उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे फ्रैंक इस्लाम 15 साल की अवस्था में अमेरिका पहुंचे थे। आज उनके पास अमेरिकी राज्य मैरीलैंड के पोटोमैक शहर में नौ एकड़ क्षेत्र में 40 हजार वर्ग फुट का आलीशान बंगला है, जिसमें पांच शयन कक्षों वाला एक अतिथिगृह, कई तालाब हैं।
उनके पास कथित तौर पर 30 करोड़ डॉलर की संपत्ति है और अब वह भारत तथा अमेरिका दोनों जगह शिक्षा क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं।
इस्लाम ने कहा, “यह निवेश अमेरिका और भारत के भविष्य में और उनके सपनों में हो रहा है।”
उन्होंने 1994 में एक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी क्यूएसएस समूह की स्थापना की थी। कंपनी की कुल आय 30 करोड़ डॉलर तक पहुंचाने के बाद उन्होंने 2007 में कंपनी बेच दी।
63 वर्षीय इस्लाम और उनकी पत्नी 61 वर्षीय डेबी ड्रीजमैन आज पोटोमैक में 40 हजार वर्ग फुट के आलीशान बंगले में रहते हैं।
इस्लाम ने भारत में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को 20 लाख डॉलर का अनुदान दिया है। यह अनुदान फ्रैंक एंड डेबी इस्लाम स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की स्थापना और अपनी माता कमरान निसान की याद में आजमगढ़ में महिला प्रौद्योगिकी महाविद्यालय स्थापित करने के लिए दिया गया है।
इस्लाम ने आईएएनएस से कहा, “मैं एक कारोबारी हूं और मैं सिर्फ सहायतार्थ अनुदान नहीं देता हूं, बल्कि मैं अमेरिकी सपने को तरोताजा करने में और अमेरिका तथा भारतीय नागरिकों के मजबूत भविष्य में निवेश करता हूं।”
अमेरिका में अपने द्वारा दी जा रही छात्रवृत्तियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “हम जो सबसे बड़ा उपहार दे सकते हैं, वह है शिक्षा।”
इस्लाम दोनों देशों में खास तौर से महिलाओं और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए अधिक योगदान करते हैं।
उन्होंने कहा, “मैं भारत में कमजोर तबके के उत्थान के लिए शिक्षा को औजार और शक्ति के रूप में उपयोग करता हूं।”
उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि जिसे भी लाभ मिले वह भविष्य में देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास के लिए काम करे।”
इस्लाम एएमयू के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने कहा, “यदि एएमयू की शिक्षा नहीं मिलती, तो वह नहीं होते, जो वह आज हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं एएमयू का ऋणी हूं।”
उन्होंने कहा कि आजमगढ़ के महिला प्रौद्योगिकी महाविद्यालय का नाम वह अपनी मां के नाम पर रख रहे हैं। यद्यपि उनके पास कोई शैक्षणिक डिग्री नहीं थी, लेकिन वह महिला शिक्षा और उच्च शैक्षिक डिग्री पर बहुत जोर देती थीं।
इस्लाम ने कहा कि महाविद्यालय भवन निर्माण के लिए धन भेजने के लिए उन्हें गृह मंत्रालय से विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत मंजूरी मिलने का इंतजार है।
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह अनुमति जल्द ही मिल जाएगी।”