भारत में मिडल ईस्ट और सार्क देशों से मेडिकल जांच व इलाज के लिए आने वाले लोगों की तादाद में जोरदार इजाफा हुआ।
रुपये में गिरावट के बाद इन मुल्कों से आने वाले मेडिकल टूरिस्टों की तादाद में अब तक 45 फीसदी तक इजाफा हुआ है। इसमें और भी तेजी आने की उम्मीद है।
औद्योगिक संगठन एसोचैम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल ट्रीटमेंट यानी चिकित्सा के लिए सबसे ज्यादा मिडल ईस्ट देशों से भारत आ रहे है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, कतर, टर्की और ईरान से आने वाली लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है। खास बात है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोग भी अब डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का लाभ उठाने के लिए भारत में इलाज के लिए आ रहे हैं। वे अपना पेमेंट डॉलर में कर रहे हैं।
इलाज सस्ता और बेहतर : एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और दिल्ली में कॉर्डियोलॉजी, ऑथर्ोेपेडिक सर्जरी, ट्रांसप्लांट्स जैसी चिकित्सा सुविधा काफी बेहतर है। यही वजह है कि मिडल ईस्ट और सार्क देशों से लोग यहां अपना इलाज करना पसंद करते हैं। रुपये में गिरावट के बाद अब उनके लिए यहां इलाज कराना करीब 30 फीसदी सस्ता हो गया है। पहले इन लोगों को भारत में इलाज के लिए औसतन 10,000 डॉलर देना पड़ता था, इनका काम 7000 डॉलर में हो जाता है।
बढ़ता मेडिकल टूरिजम : एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी. एस. रावत के मुताबिक, वैसे भारत में मेडिकल इलाज अन्य देशों के मुकाबले सस्ता है। रुपये में गिरावट के बाद यह मिडल ईस्ट देशों के लोगों के काफी सस्ता बैठता है। यही वजह है कि अब वहां के लोग भारत में इलाज को पहले की तुलना में ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। अगर स्थिति ऐसी रही तो भारत में मेडिकल टूरिजम का मार्केट 2015 तक 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।