नई दिल्ली, 10 दिसम्बर (आईएएनएस)। पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले वैश्विक गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस ने गुरुवार को कहा कि भारत में भी बीजिंग की तरह वायु की गुणवत्ता मापने वाली चेतावनी प्रणाली होती तो उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में नवंबर, 2015 से ही रेड अलर्ट घोषित हो गया होता।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एनएक्यूआई) की वेबसाइट के मुताबिक, सितबंर से नवबंर के बीच 91 दिनों के एकत्रित आकड़ों से पता चलता है कि चीन की चेतावनी प्रणाली मापदंड के अनुसार दिल्ली में 33 दिनों और लखनऊ में 41 दिनों का रेड अलर्ट घोषित किया जा चुका होता। यह समस्या सिर्फ दिल्ली की ही नहीं है, बल्कि उत्तर भारत के कई शहरों में प्रदूषण का इतना ही बुरा हाल है।
ग्रीनपीस एशिया के ग्लोबल कैंपेनर लौरी मिल्लीविर्ता का कहना है, “बीजिंग ने अपना पहला रेड अलर्ट जारी करके न सिर्फ स्कूलों को बंद कर दिया, बल्कि प्रदूषण कम करने के लिए कारखानों, वाहनों, निर्माण कार्यो और अन्य गतिविधियों में भी कटौती के सख्त कदम उठाए हैं। इस कार्यवाही से निश्चित रूप से पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण पर असर दिखा।”
भारत, चीन के अनुभव का लाभ उठाकर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करने की दिशा में एक लंबी छंलाग लगा सकता है। उदाहरण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय यह है कि भारत अपने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कार्यनीति के लिए ठोस, समयबद्ध लक्ष्य सुनिश्चित करे।
ग्रीनपीस इंडिया के अभियान संचालक सुनील दहिया का कहना है, “सरकार के खुद के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर भारत के अनेक शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बीजिंग से भी ज्यादा है, लेकिन अभी भी हम इस वायु प्रदूषण के प्रकोप को पहचाने में झिझक रहे हैं। यह जरूरी है कि एक ठोस नीति बनाई जाए जिससे वायु प्रदूषण संकट का समाधान खोजा जा सके।”