नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में गोमांस के खपत पर हो रहे विवाद के बीच, एक अग्रणी क्रेडिट रेटिंग और अनुसंधान संस्थान का कहना है कि देश में भैंस के मांस का निर्यात अगले पांच सालों में करीब 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में गोमांस के खपत पर हो रहे विवाद के बीच, एक अग्रणी क्रेडिट रेटिंग और अनुसंधान संस्थान का कहना है कि देश में भैंस के मांस का निर्यात अगले पांच सालों में करीब 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
भारतीय भैंस मांस निर्यात उद्योग पर किए अपने अध्ययन में आईसीआरए ने कहा, “अगले पांच सालों में भारतीय भैंस के मांस का निर्यात अपने चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 8 प्रतिशत के साथ करीब 40,000 करोड़ रुपये के पास पहुंच जाएगा।”
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सब्यसाची मजूमदार ने कहा, “लंबे समय में, आईसीआरए को उम्मीद है कि भैंस मांस निर्यात में अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी, बुनियादी सुविधाओं में सुधार, भैंस की बड़ी आबादी की तुलना में भारतीय भैंस मांस की कम कीमत और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्थिर मांग की वजह से यह होगा। “
भारतीय भैंस के मांस का निर्यात 29 प्रतिशत के सीएजीआर से साल 2007-08 में 3,533 करोड़ रुपये से 2015-16 में 26,682 करोड़ रुपये बढ़ा। यह करीब कुल विश्व भैंस मांस निर्यात की तुलना में 20 प्रतिशत रहा (मात्रा के संदर्भ में) और इस तरह ब्राजील और आस्ट्रेलिया को पछाड़ कर सबसे ज्यादा भैंस मांस का निर्यातक बना।
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत सबसे ज्यादा केवल भैंस मांस का निर्यातक है और इसने दूसरे मुख्य तौर पर गोमांस निर्यातक देशों का विरोध किया।
बयान में कहा गया, ” पिछले लगातार दो सालों से, भैंस का मांस सबसे ज्यादा भारत के कृषि से जुड़े निर्यात में रहा और इसका कुल निर्यात से राजस्व में योगदान करीब दुगना साल 2010-11 में 0.76 प्रतिशत से बढ़कर 2015-16 में 1.56 प्रतिशत हो गया।