भोपाल, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी में हुई गैस त्रासदी की 31वीं बरसी पर गुरुवार को पीड़ित सड़कों पर उतरे। उन्होंने रैलियां निकलीं, सभाएं कीं और सर्वधर्म प्रार्थना सभा में हजारों मृतकों को श्रद्धांजलि दी। सत्तापक्ष ने भी दो मिनट का मौन रखकर औपचारिकता पूरी की।
स्थानीय लोगों में इस भीषण हादसे को अंजाम देने वाले यूनियन कार्बाइड के अधिकारियों को सजा का ऐलान हो जाने के बाद भी सलाखों के पीछे न पहुंचाए जाने का मलाल था। अपने हक की लड़ाई हर हाल में जारी रखने का जज्बा भी उनमें देखा गया।
भोपाल गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले पांच संगठनों- भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन और डाओ कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नामक संगठन के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने भोपाल टॉकीज से रैली निकाली। इस रैली में कई विदेशी भी शामिल थे।
इस मौके पर गैस पीड़ितों ने अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड और डाओ केमिकल्स के लोगो (प्रतीकचिन्ह) पर कीचड़ उछालकर (मुहावरा नहीं) अपना गुस्सा जाहिर किया।
विरोध प्रदर्शन में शामिल भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित निगरानी समिति की रिपोर्ट में गैस पीड़ितों के इलाज के बुरे हाल का स्पष्ट उल्लेख है। इसके बाद भी कुछ नहीं किया गया, निगरानी कमेटी की सिफारिशों को ही नजरअंदाज कर दिया गया है।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडं्गी ने केंद्र व राज्य सरकारों की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने दुनियाभर के लोगों से अपील की है कि वे डाओ केमिकल्स, यूनियन कार्बाइड, अमेरिकी तथा भारत सरकार पर दवाब डालें कि भोपाल जैसे हादसों का अंत हो।
इन संगठनों का मानना है कि केंद्र व राज्य की सरकारें अमेरिकी कंपनी के हित साधने में लगी है, यही कारण है कि वे गैस पीड़ितों की समस्याओं, भूजल पीड़ितों के इलाज और आर्थिक व पर्यावरणी पुनर्वास की जानबूझ कर अनदेखी कर रही है।
गैस हादसे की बरसी पर गुरुवार को बरकतउल्ला भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में सर्वधर्म प्रार्थना सभा हुई, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हादसे की याद अब भी बाकी है। उन्होंने अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों का नाम लिए बगैर कहा कि आज जो देश पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर चिंता जता रहे हैं, वास्तव में वही देश दुनिया को विनाश का सामान दे रहे हैं।
शिवराज ने कहा कि विकास करते वक्त यह संकल्प लेना होगा कि अब कोई और शहर भोपाल न बने। यह एक ऐसा हादसा है, जिसने लाखों परिवारों को मुसीबत में डाल दिया है, हजारों लोग मौत की नींद सो गए।
सर्वधर्म प्रार्थना सभा में विभिन्न धर्मगुरुओं धर्म का पाठ किया और मृतकों को श्रद्धांजलि देते हुए इस हादसे के प्रभावितों के सुखमय जीवन की कामना की गई। इसके बाद दो मिनट का मौन भी रखा गया। औपचारिकता निभाने की रस्म में गैस राहत मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गृहमंत्री बाबूलाल गौर सहित अन्य लोग भी मौजूद थे।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क में शोकसभा की, सभी वक्ताओं ने भोपाल गैस त्रासदी के गुजरे 31 साल को एक और त्रासदी बताया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बढ़ते दखल पर चिंता जताई।
संगठन संयोजक अब्दुल जब्बार ने गैस राहत मंत्री नरोत्तम मिश्रा के इस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘सरकार ने सब कुछ कर दिया है।’ जब्बार ने कहा कि यह इस बात का इशारा है कि मंत्री कितने असंवेदनशील हैं और इससे यह भी साफ हो गया कि सरकार प्रभावितों के लिए अब कुछ भी करने का इरादा नहीं रखती।
जब्बार ने सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा दिए गए उस बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने पेरिस के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का तो जिक्र किया, लेकिन भोपाल के यूनियन कार्बाइड परिसर में फैले सैकड़ों टन जहरीले रासायनिक कचरे की चर्चा तक नहीं की।
शोकसभा के अंत में पीड़ितों ने आगे संघर्ष जारी रखने की प्रतिज्ञा ली और यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क से कमला पार्क तक रैली निकाली। इसके बाद पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री निवास जाकर उनके कार्यालय में एक ज्ञापन दिया।
इसी तरह भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने संयंत्र के सामने बनी मूर्ति के समीप सभा की। सभा में संयोजक साधना कर्णिक प्रधान और डॉ. राहुल शर्मा ने सरकार की नीतियों की आलोचना की। वहीं गैस पीड़ित जुलेखा बी, शहजाद, सत्तार व साबरा बी ने अपना दर्द बयां किया। इसके अलावा पीड़ितों ने अपने हक के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।
दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात कीटनाशक बनाने वाले यूनियन कार्बाइड संयंत्र से जहरीली गैस रिसी थी। एक ही रात में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। गैस प्रभावितों की मौत का सिलसिला अब भी जारी है। गैस प्रभावितों के घर तीन दशकों में अधिकांश बच्चे विकलांग पैदा हुए और सैकड़ों लोग तरह-तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। संयंत्र के आसपास काफी दूर तक भूजल भी दूषित हो चुका है।
हजारों मृतकों की याद में तीन दशकों से हर साल तीन दिसंबर को श्रद्धांजलि सभा, प्रार्थना सभा और गैस पीड़ितों का प्रदर्शन होता चला आ रहा है। गैस पीड़ित इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि देश की सरकार ‘मेक इन इंडिया’ का नारा देकर विदेशी कंपनियों को बुलावा तो दे रही है, लेकिन इनके लगाए कल-कारखानों में सुरक्षा रहेगी, यह गारंटी नहीं दे रही है।