वाशिंगटन, 28 फरवरी (आईएएनएस)। मंगल ग्रह के वातावरण व जमीन की जांच कर रहे राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) के क्यूरिऑसिटीरोवर ने इस ग्रह के वातावरण में मीथेन गैस होने की पुष्टि कर दी है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस ग्रह पर कभी जीवन रहा होगा।
मंगल ग्रह के 605 दिनों के आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई है।
क्यूरिऑसिटी रोवर में मौजूद उपकरण लेजर स्पेक्ट्रोमीटर ने मंगल ग्रह के वायुमंडल में मीथेन गैस की सांद्रता में उल्लेखनीय वृद्धि का पता लगाया है।
मार्स साइंस लेबोरेटरी (एमएसएल) के लेखकों की एक रपट के मुताबिक, इस खोज से मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की मौजूदगी को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर पूर्ण विराम लग गया है। एक दशक पहले मंगल ग्रह पर टेलीस्कोप से मीथेन गैस का पहली बार पता चला था।
चूंकि, मीथेन गैस जैविक क्रियाओं का उत्पाद है, इसलिए इसकी संभावना है कि मंगल ग्रह पर कभी जीवन रहा होगा।
स्पेन में ग्रेनाडा विश्वविद्यालय के एंडेलुसियन इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ साइंसेज (सीएसआईसी-यूजीआर) से संबद्ध अध्ययन के सहलेखक फ्रांसिस्को जेवियर मार्टिन-टोरेस ने कहा, “निष्कर्ष में मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की उपस्थिति के सवाल का हल हो गया। लेकिन इससे इसके स्रोत की प्रकृति का सवाल पैदा हो गया है।”
कुछ मौजूदा मॉडलों के अनुसार, यदि मंगल पर वास्तव में मीथेन गैस है, तो यह औसतन 300 साल पहले से रहा होगा और इस अवधि के दौरान यह पूरे वायुमंडल में समान रूप से वितरित हो गया।
यह अध्ययन पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित हुआ है।