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मप्र का जल सत्याग्रह : आप और सरकार आमने-सामने

भोपाल, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध के प्रभावितों को बाजिव मुआवजा और पुनर्वास नीति का लाभ दिए बगैर जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में चल रहे जल सत्याग्रह को लेकर प्रदेश सरकार और आम आदमी पार्टी (आप) आमने-सामने आ गए हैं। आप ने जहां सरकार पर हठधर्मिता का आरोप लगाया, वहीं सरकार आप के विरोध को आधारहीन करार दे रही है।

ओंकारेश्वर बांध का जल स्तर बढ़ाए जाने से कृषि भूमि के डूब में आने और कई परिवारों के प्रभावित होने का आरोप लगाते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन और आप ने 11 अप्रैल से खंडवा जिले के घोगलगांव में जल सत्याग्रह शुरू किया है। आंदोलनकारी पुनर्वास नीति के तहत जमीन के बदले जमीन देने और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मुआवजा दिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

पिछले 11 दिनों से घोगलगांव में जल सत्याग्रह चल रहा है। इस आंदोलन को लेकर आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इस पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि एक गंभीर व जटिल मुद्दे पर चर्चा के लिए आपसे कई बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर आप के व्यस्त हेाने के कारण संपर्क नहीं हो पाया।

केजरीवाल ने पत्र में आगे लिखा है, “नर्मदा घाटी में ओंकारेश्वर बांध को लेकर काफी दिनों से आंदोलन चल रहा है, मैं भी इस आंदोलन से जुड़ा रहा हूं। आपकी सरकार, न्यायालय और मैं भी यही चाहता हूं कि प्रभावितों का उचित पुनर्वास हो, अगर पुनर्वास से पहले उन्हें हटाया जाता है तो यह उनके साथ अन्याय होगा।”

केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि डूब प्रभावित 10 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, इन आंदोलनकारियों से वार्ता कर समाधान निकालें।

एक तरफ केजरीवाल का पत्र आया है तो दूसरी ओर राज्य सरकार के नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने मंगलवार को एक बयान जारी कर आंदोलन का आधारहीन करार दिया। उनका कहना है कि ओंकारेश्वर नहर से हजारों किसानों को सिंचाई का लाभ देने का विरोध समझ से परे है।

उन्होंने कहा कि विरोध का औचित्य इसलिए भी नहीं है कि नहर चलाने के लिए जलाशय का स्तर 191 मीटर बढ़ाया गया है, ऐसा करने से कोई भी घर, गांव या आबादी डूब के प्रभाव में नहीं आया है। राज्य सरकार ने 15 अप्रैल को ‘आबादी विहीन क्षेत्र’ की हवाई फोटोग्राफी कराई है, तस्वीरों से बिल्कुल स्पष्ट है कि कथित जल सत्याग्रह का कोई औचित्य नहीं है।

आर्य ने कहा कि राज्य सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने परियोजना प्रभावितों के प्रति पूरी संवेदनशीलता दिखाई है। पुनर्वास नीति में उपलब्ध भौतिक और आर्थिक सुविधाओं के अतिरिक्त 225 करोड़ का विशेष पैकेज डूब प्रभावित परिवारों को दिया गया है। महज कुछ लोग ही जलस्तर बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे विरोध के कारण हजारों किसानों के हितों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

उल्लेखनीय है कि खंडवा में 11 दिनों से जल सत्याग्रह कर रहे लोगों के पैर अब गलने लगे हैं, खून रिसना शुरू हो गया है। उनके पैर मछलियों का निवाला बन रहे हैं, मगर सरकार की ओर से कोई उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है। मंत्री ने तो जल सत्याग्रह के औचित्य पर ही सवाल उठा दिया है।

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