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मप्र के बुंदेलखंड को भी चाहिए सरकारों की दरियादिली

May 6, 2016 7:00 pm by: Category: पर्यावरण Comments Off on मप्र के बुंदेलखंड को भी चाहिए सरकारों की दरियादिली A+ / A-

drought-620x400भोपाल, 6 मई (आईएएनएस)। बुंदेलखंड सूखे और पानी की समस्या से जूझ रहा है। विडंबना है कि दो राज्यों में फैले इस क्षेत्र से सरकारें भी भेदभाव करने में पीछे नहीं हैं। क्षेत्र के लोगों को इंतजार है कि सरकारें कब उन पर भी दरियादिली दिखाएंगी।

भोपाल, 6 मई (आईएएनएस)। बुंदेलखंड सूखे और पानी की समस्या से जूझ रहा है। विडंबना है कि दो राज्यों में फैले इस क्षेत्र से सरकारें भी भेदभाव करने में पीछे नहीं हैं। क्षेत्र के लोगों को इंतजार है कि सरकारें कब उन पर भी दरियादिली दिखाएंगी।

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में खाद्य सामग्री मुफ्त मिल रही है। पानी देने का श्रेय लेने को दो सरकारें टकराने लगी हैं, मगर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड पर किसी की नजर नहीं है।

बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश के छह और उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं। इस तरह बुंदेलखंड 13 जिलों को मिलाकर बनता है। सभी जिलों की कमोबेश एक जैसी हालत है। सूखे की मार ने किसान से लेकर मजदूर तक की कमर तोड़कर रख दी है। खेत सूखे हैं, तालाबों और कुओं में पानी नहीं है, इंसान को अनाज और जानवर को चारे के लिए जूझना पड़ रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज बाबू चौबे का कहना है कि पूरे बुंदेलखंड का बुरा हाल है, कई मामलों में तो उत्तर प्रदेश के हिस्से से ज्यादा बुराहाल मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड का है। पानी के लिए कई कई किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ रहा है।

वे कहते हैं कि गांव के गांव उजड़ गए हैं, रोजगार का इंतजाम नहीं है, मगर राज्य और केंद्र सरकार मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से बेरुखी बनाए हुए है, जो कई सवाल खड़े कर रही हैं। सरकारों का रवैया यह बताने लगा है कि अब वोट की चाहत सवरेपरि हो गई है।

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के सात जिलों में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अंत्योदय परिवारों के लिए मुफ्त में राशन राहत पैकेट बांटना शुरू कर दिया है, वहीं केंद्र सरकार ने पानी मुहैया कराने के लिए ट्रेन तक भेज दी है, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकारने से मना कर दिया है, मगर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के गरीबों पर न तो राज्य सरकार का ध्यान है और न ही केंद्र सरकार कुछ करती नजर आ रही है। मध्यप्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार हैं।

बुंदेलखंड के वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र व्यास का कहना है कि राजनीतिक दलों को सिर्फ चिंता चुनाव जीतने के लिए वोट हथियाने की रहती है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाला है, लिहाजा वहां की सरकार ने बुंदेलखंड के गरीब परिवारों को राहत पैकेट बांटना शुरू किया है।

वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की मांग के बिना ही पानी की ट्रेन भेज दी, ताकि यहां के लोगों का दिल जीता जा सके, जो विशुद्ध तौर पर राजनीति का हिस्सा नजर आता है। दोनों ही दल राजनीतिक लाभ के लिए अपने को बुंदेलखंड का हितैषी बताने में लगे हैं। वास्तव में किसी को भी बुंदेलखंड के लोगों की चिंता नहीं है, अगर चिंता है तो सिर्फ वोट बटोरने की।

छतरपुर जिले के पंचायत प्रतिनिधि रहे राम कृष्ण का कहना है कि बुंदेलखंड सूखा कई वर्षो से पड़ता आ रहा है। इस बार हालत पिछले वर्षो से कहीं ज्यादा खराब है। ऐसे में सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह इस क्षेत्र के लिए आवश्यक कदम उठाए। राजनीतिक लाभ की बजाय सरकारों को इस इलाके के लोगों की परेशानी को बेहतर तरीके से समझना होगा, नहीं तो यही जनता उन्हें सबक सिखाने मे पीछे नहीं रहेगी।

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों केा अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार और केंद्र सरकार की पहल ने मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों के मन-मस्तिष्क में एक सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि उनके साथ यह भेदभाव आखिर क्यों हो रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड के लिए पानी की ट्रेन लेना नहीं चाहती और केंद्र सरकार जिद किए हुए है, वहीं मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड की केंद्र सरकार चर्चा तक नहीं कर रही। इतना ही नहीं, मध्यप्रदेश की सरकार ने भी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है जो बुंदेलखंड के लोगों के जख्मों को कम कर सके।

मप्र के बुंदेलखंड को भी चाहिए सरकारों की दरियादिली Reviewed by on . भोपाल, 6 मई (आईएएनएस)। बुंदेलखंड सूखे और पानी की समस्या से जूझ रहा है। विडंबना है कि दो राज्यों में फैले इस क्षेत्र से सरकारें भी भेदभाव करने में पीछे नहीं हैं। भोपाल, 6 मई (आईएएनएस)। बुंदेलखंड सूखे और पानी की समस्या से जूझ रहा है। विडंबना है कि दो राज्यों में फैले इस क्षेत्र से सरकारें भी भेदभाव करने में पीछे नहीं हैं। Rating: 0
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