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मप्र में किसान को 1 रुपये 28 पैसे की बीमा राहत

भोपाल, 15 जून आईएएनएस। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जहां किसानों को राहत देने वाली फसल बीमा योजना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी चल रही है तो दूसरी ओर हरदा जिले से बीमा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली राहत राशि के नाम पर किसानों के साथ हुए मजाक की हकीकत सामने आई है। यहां आपदा के चलते हजारों का नुकसान उठाने वाले किसानों को बीमा कंपनियों ने एक रुपये 28 पैसे तक ही राहत राशि मंजूर की है।

भोपाल, 15 जून आईएएनएस। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जहां किसानों को राहत देने वाली फसल बीमा योजना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी चल रही है तो दूसरी ओर हरदा जिले से बीमा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली राहत राशि के नाम पर किसानों के साथ हुए मजाक की हकीकत सामने आई है। यहां आपदा के चलते हजारों का नुकसान उठाने वाले किसानों को बीमा कंपनियों ने एक रुपये 28 पैसे तक ही राहत राशि मंजूर की है।

प्रदेश में वर्ष 2013-14 में प्राकृतिक आपदा ने किसानों की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था। अपना सब कुछ लुटा चुके किसानों को राज्य सरकार ने मुआवजा दिया था, साथ ही किसानों को भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें बीमा कंपनी से भी पर्याप्त राहत राशि मिलेगी। दो वर्ष बाद जो राशि किसानों के हिस्से में आ रही है, वह उनके दर्द को और बढ़ा देने वाली है।

बताया गया है कि वर्ष 2013-14 में हुई ओलावृष्टि से किसानों की भारी मात्रा में फसल चौपट हुई थी। राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत जिले के 14 हजार किसानों के लिए बीमा कंपनी ने सात करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। कई किसान ऐसे हैं, जिनके नाम पर एक रुपये 28 पैसे से लेकर दो रुपये, चार रुपये, 50 रुपये और 200 रुपये तक की राहत राशि आई है।

सूत्रों के अनुसार, गहाल गांव तो ऐसा गांव है जहां के 128 किसानों को राहत राशि के रूप में एक रुपये से लेकर 142 रुपये बीमा कंपनी ने राहत राशि के तौर पर दी है। अशोक खोदरे नाम के किसान की पांच एकड़ जमीन है मगर उसे राहत राशि आठ रुपये 12 पैसे मिली है। वह कहता है कि यह सरकार किसान हितैषी होने का ढिंढोरा पीटती है, मगर राहत राशि जो मिली है उसका वह क्या करें।

मालूम हो कि राज्य सरकार लगातार अपने को किसान हितैषी होने का दावा करती आ रही है, इतना ही नहीं, खेती को फायदे का धंधा बनाने के सरकार ने दावे किए हैं, मगर बीमा की राहत राशि बहुत कुछ बयां कर रही है।

किसान नेता शिवकुमार शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार सिर्फ प्रचार में जुटी है, वह किसानों के सामने नौटंकी करती है, मगर उसे देती कुछ नहीं। पूर्व से बने कानून के मुताबिक, किसान को न तो बीमा की राहत राशि मिल रही है और न ही मुआवजा की राशि, अब भोपाल में फसल बीमा बनाने की राष्ट्रीय संगोष्ठी की नौटंकी कर रही है।

हरदा के कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए माना कि बीमा कंपनी ने किसानों को एक, दो रुपये और कुछ सौ रुपये की राहत राशि दी है। यह सूची उनके पास है, मगर राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जाती है।

राज्य में किसानों की हालत किसी से छुपी नहीं है। कर्ज में डूबा किसान बच्चे गिरवी रखने को मजबूर है तो दूसरी ओर किसान आत्महत्या कर रहे हैं, अब बीमा की राहत राशि ने किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार सिर्फ गाल बजाती रहेगी या कुछ आगे करेगी भी।

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