नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संसद में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी महिला सांसदों ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला विकास से आगे बढ़कर महिला के नेतृत्व में विकास की ओर बढ़ने की बात कही थी, उस आलोक में सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने से लेकर निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान भागीदारी देने तक लंबा सफर तय करना पड़ेगा।
महिला सांसदों ने यह भी महसूस किया कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने से यह प्रक्रिया और भी सरल हो जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में संपन्न हुए महिला सांसदों के अधिवेशन में कहा था कि महिला विकास से परे जाकर महिला के नेतृत्व में विकास की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने महिला सांसदों से कहा था कि उन्हें अपने सशक्तीकरण के लिए पंचायतों और नगरपालिकाओं के प्रतिनिधियों से बातचीत करनी चाहिए।
लेकिन उसी सम्मेलन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फसदी देने से संबंधित विधेयक अभी तक पारित नहीं हो सका है।
उधर, वाकपटु भाजपा की नेता मीनाक्षी लेखी ने आईएएनएस से कहा कि महिलाएं पहले से ही सशक्त हैं उन्हें तो सिर्फ अवसर मिलने की जरूरत है। महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान मिल जाए तो बाकी चीजें वह खुद कर लेंगी। उन्होंने कहा, “अगर आप महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर दें तो ऐसी कोई चीज नहीं है जो पाने योग्य नहीं है।”
उन्होंने कहा, “हमलोग महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल निर्मित होने तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं। इसका संबंध सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी से भी है। अगर महिलाओं की सार्वजनिक जीवन में भागीदारी बढ़ेगी तो उनके लिए सुरक्षित माहौल भी बनाए जाएंगे।”
सांसद की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े में दिखाया गया है कि केवल सन् 2014 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 3,37, 922 मामले दर्ज कराए गए।
इस मुद्दे पर कांग्रेस की सांसद विजयलक्ष्मी साधो ने आईएएनएस से कहा कि महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के लिए कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बन जाए तो वे खुद बड़ी भूमिका के लिए तैयार हो जाएंगी।
उन्होंने निर्भया कोष पर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके मान सम्मान की रक्षा के लिए दस करोड़ रुपये की राशि से 2013 में इसकी शुरुआत की गई थी। लेकिन महिलाओं के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं होने से यह राशि ऐसे ही पड़ी हुई है।
साधो ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से इस मामले में फर्क पड़ सकता है। उन्होंने आईएएनएस से कहा, “मैं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से अनुरोध करती हूं कि वह महिलाओं का प्रतिनिधित्व करें और यह सुनिश्चित करें कि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो जाए।”
विदित हो कि महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था है। यह विधेयक 2010 में ही राज्यसभा में क्षेत्रीय पार्टियों के विरोध के बावजूद पारित हो चुका है, लेकिन तब से लोकसभा में लंबित है।