भोपाल-भोपाल का एक पुराना और सामयिक स्कूलों में सर्वश्रेष्ठ स्कूल रहा है माडल स्कूल.भोपाल में इसका एक विशिष्ट स्थान रहा है.भोपाल का मशहूर और ऐतिहासिक माडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आज अपने नए कलेवर में मौजूद है.देश और मप्र को इस विद्यालय ने कई योग्य विद्यार्थी दिए जो आज देश सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं.
इस स्कूल के वैभव को देख कतिपय शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने साजिश रच इसका प्रबंधन अपने हाथों में लेने की कोशिश की जिसके लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल से प्रस्ताव तैयार करवा इसे अमली जामा पहनाने की मुहीम शुरू कर दी गयी थी.
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को माडल स्कूल का दौरा करवा भ्रमित किया गया था केन्द्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी जब भोपाल दौरे पर आयीं थीं तब शिक्षा विभाग के पास ऐसा कोई विद्यालय नहीं था जिसमें वह मंत्री का कार्यक्रम रख सके.माडल स्कूल की अच्छी स्थिति के चलते माध्यमिक शिक्षा मंडल के स्कूल माडल को शिक्षा विभाग का बता मंत्री को यह स्कूल दिखा दिया गया जिसकी स्मृति ईरानी ने खुले दिल से तारीफ़ की और अधिकारीयों को शाबाशी देते हुए दिल्ली रवाना हो गयीं.
यहीं से इस स्कूल को अपने अधिकार में हड़पने की योजना शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने शुरू कर दी.
जब इस योजना का पता स्कूल के पूर्व विद्यार्थियों को चला तो उन्होंने इसे बचाने की ठानी और अभियान शुरू किया.खुशकिस्मती से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसी विद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं.उनसे जब प्रतिनिधिमंडल के रूप में अजय श्रीवास्तव,प्रलय श्रीवास्तव,जवाहर सिंह ,सुधीर निगम,पुनीत पाण्डेय और मनोज जोशी (पत्रकार) मिले और स्थिति से अवगत करवाया तो मुख्यमंत्री ने इस पर त्वरित निर्णय लेते हुए स्कूल को माध्यमिक शिक्षा मंडल के अधीन ही रखने के निर्देश देते हुए माडल स्कूल के पूर्व विद्यार्थियों की समिति का अध्यक्ष होना भी स्वीकार किया.
ज्ञात हो की इस स्कूल में शिक्षा का स्तर और सुविधाएं शुरू से ही मप्र के सभी स्कूलों में प्रथम मौजूद रहीं.जब स्कूलों में प्रयोगशाला नहीं होती थी तब वह सुविधा माडल स्कूल में थी.मप्र के स्कूल में प्रथम कम्पयूटर इस स्कूल में लगाया गया था.
ऐसे विद्यालय को साजिश के तहत अपने कब्जे में लेने की दुर्भावना को पूर्व विद्यार्थियों ने नाकाम कर इस स्कूल के शानदार और ऐतिहासिक स्वरूप को बचा लिया है.