नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को वर्ष 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के मास्टरमाइंड अब्दुल रजाक मेमन की मृत्युदंड की समीक्षा याचिका खारिज कर दी।
मेमन ने याचिका में सर्वोच्च अदालत से 21 मार्च, 2013 को एक विशेष अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले की समीक्षा करने और फांसी की सजा रोके जाने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ ने कहा, “हमने उस फैसले को देखा है, जिसकी समीक्षा करने की मांग की गई है और हमने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया है।”
पीठ ने कहा, “अनुरोध पर सजा व सजा पर विवाद के मूल्यांकन के लिए हमने निचली अदालत के फैसले पर भी गौर किया है।”
न्यायालय ने कहा कि समीक्षा याचिका में दी गई सभी दलीलों पर फैसले में विस्तार से विचार किया गया है।
पीठ ने कहा, “हमें न तो रिकॉर्ड में कोई त्रुटि मिली या न ही कोई आधार जिसके कारण हम अपनी समीक्षा के अधिकार क्षेत्र में कोई हस्तक्षेप करें।” न्यायालय ने कहा कि इसलिए समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।
अपने आदेश में कहा कि मेमन की समीक्षा याचिका खारिज की जाती है। न्यायालय ने 25 मार्च 2015 में उसकी याचिका पर फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया था।
यह दूसरी बार है, जब मेमन की मृत्युदंड पर समीक्षा याचिका खारिज हुई है।
पहले भी मेमन की समीक्षा याचिका खारिज हो चुकी है, लेकिन यह दोबारा दायर की गई, क्योंकि संवैधानिक पीठ ने दो सितंबर, 2014 को मेमन की पहली समीक्षा याचिका पर दिए गए अपने फैसले में कहा था कि मृत्युदंड संबंधी मामलों की समीक्षा याचिका की सुनवाई तीन न्यायधीशों वाली खुली अदालत करेगी।
संवैधानिक पीठ ने यह भी कहा, “अगर अपराधी की समीक्षा याचिका खारिज हो चुकी है और उसे अभी तक फांसी नहीं दी गई है तो भी यह नियम लागू होगा। ऐसे मामलों में याचिकाकर्ता मौत की सजा सुनाए जाने की तारीख के एक महीने के अंदर समीक्षा याचिका दे सकते हैं।”
सर्वोच्च न्यायालय ने दो जून, 2014 को मेमन की फांसी का समय बढ़ाया था। इसके बाद खुली अदालत में समीक्षा याचिका की सुनवाई की याचिका के बाद शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर, 2014 को मेनन की फांसी का समय बढ़ाया गया था।