नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय भूमिका के कारण बीते दो साल में दलितों, पिछड़े वर्गो और अनुसूचित जनजातियों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रति धारणा में गुणात्मक बदलाव आया है।
नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय भूमिका के कारण बीते दो साल में दलितों, पिछड़े वर्गो और अनुसूचित जनजातियों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रति धारणा में गुणात्मक बदलाव आया है।
पासवान ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “प्रधानमंत्री ने इन समुदायों के लिए काफी कुछ किया है। मैं उनमें प्रतिबद्धताओं को लेकर दिवंगत प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की छवि देखता हूं। वी. पी. सिंह एक राजा थे और सवर्ण थे। लेकिन, वह पिछड़े वर्ग के साथ खड़े रहे और इसीलिए मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हो पाईं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्राओं में अन्य महान हस्तियों के साथ बी. आर. अंबेडकर का भी नाम लेते हैं। यह केवल उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
पासवान, आरक्षण की नीति के मजबूत समर्थक हैं और निजी क्षेत्र में आरक्षण के मामले को आगे बढ़ाने में लगे हैं। उन्होंने कहा, “मोदी के मंत्रिमंडल में इस मांग को लेकर कोई विरोधाभास नहीं है।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री खुद लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं, खासकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए।”
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से उनकी नीतियों में जाहिर होता है। जैसे, स्टैंड अप योजना, जहां बैंक को अनुसूचित जातियों-जनजातियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया है।”
उन्होंने कहा कि केवल इस योजना से इन समुदायों के कम से कम 25 लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण के खिलाफ पिछले साल दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए पासवान ने कहा, “हर किसी ने कहा कि इस बयान की गलत व्याख्या की गई और यह गलत था। लेकिन, मोदी जी ने कहा कि उनके जीवित रहने तक कोई आरक्षण को हटा नहीं सकता। अब इससे ज्यादा आप क्या उम्मीद करते हैं।”
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि जो लोग धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ‘बयान’ देते रहते हैं, वे हमेशा ‘राजनीति से प्रेरित और छोटी मानसिकता के’ होते हैं।
पासवान ने दलील दी, “जीवन का अधिकार अधिक महत्वपूर्ण है। लेकिन, (मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार और (राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख) लालू प्रसाद की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकार लोगों के लिए नाकाम रही है।”
पासवान ने कानून-व्यवस्था में ढिलाई और हिंसा के बढ़ते मामलों पर बिहार सरकार को लताड़ते हुए कहा, “जिस मां ने बेटा खोया है, उस मां को क्या कहोगे कि आप सेकुलर हो।”
उन्होंने कहा, “इसीलिए, जो केवल धर्मनिरपेक्षता को लेकर बयान देते हैं और राजनीति का केवल अपराधीकरण करते हैं, मैं उनकी बजाए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (भाजपा के नेतृत्व वाले) के साथ खुश हूं। झारखंड को देखिए (जो एक समय बिहार का हिस्सा था)। वहां शांति है और बिहार की कानून-व्यवस्था की स्थिति भयावह है।”
उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों की प्रासंगिकताको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, “हां, मैं पुरानी क्षेत्रीय पार्टियों जैसे चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी) के संपर्क में हूं। क्षेत्रीय राजनीति में कुछ समय से वृद्धि हुई है और ज्यादा क्षेत्रीय पार्टियां राष्ट्रीय दलों के साथ जुड़ी हैं। इससे संघवाद को मजबूती मिलती है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और जे. जयललिता के उभरने से कम हुई है। पासवान ने जवाब दिया, “असम के परिणामों को देखते हुए आपकी थ्योरी गलत साबित होती है। भाजपा के पास न तो वहां लोकप्रिय चेहरा था और न ही उनका कोई आधार था। लेकिन, भाजपा ने मोदी के नाम पर चुनाव जीता। इससे पहले भी भाजपा ने झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनाव जीता था।”
एक अन्य प्रश्न के जवाब में पासवान ने कहा कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) राजग के घटक के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने को इच्छुक है। पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेगा।