ने पाई ता, 4 फरवरी (आईएएनएस)। म्यांमार सेना ने कुछ कम उम्र के सैनिकों की सैन्य अफसरों द्वारा पिटाई के मामले की जांच शुरू करने का ऐलान किया है। एक वीडियो में अफसरों को इन सैनिकों को बुरी तरह मारते दिखाया गया है। सोशल मीडिया पर इस घटना के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया हुई है।
सैन्य सूचना दल के कर्नल खिन मांग चो ने कहा, “यह अस्वीकार्य है। उन्हें जेल का भी सामना करना पड़ सकता है या सेना से निकाला जा सकता है।”
एफे न्यूज की रपट के अनुसार तीन मिनट की यह वीडियो क्लिप जनवरी के शुरू में फेसबुक पर डाली गई थी। इसकी निंदा करने वालों में कई पूर्व सैनिक भी हैं जिनका कहना है कि शारीरिक प्रताड़ना को सेना में प्रशिक्षण का हिस्सा बना दिया गया है।
चो ने कहा कि सेना उन वरिष्ठ सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्हें वीडियो में लात और घूंसा मारते देखा जा सकता है।
कई पूर्व बाल सैनिकों का कहना है कि उन्हें अपने वरिष्ठों के जुल्म का शिकार होना पड़ा था। इनमें से कई बाल सैनिकों को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की मदद से सेना की सेवा से छुड़ाया गया था। संगठन ने 2007 में जबरन श्रम के खिलाफ शिकायतों के लिए तंत्र बनाया था।
पूर्व बाल सैनिक को क्याव जाया ने कहा, “मुझमें भागने की हिम्मत नहीं थी। खुद को जिंदा रखना एक लगातार जारी रहने वाला संघर्ष था।” जाया को 17 साल की उम्र में जबरन सेना में भर्ती कर लिया गया था। आईएलओ की मदद से उसे सेना के चंगुल से मुक्ति मिली थी।
कई मानवाधिकार संगठनों ने तात्मादॉ (म्यांमार की सेना का आधिकारिक नाम) में बीते दशक में जारी रहे जुल्म का दस्तावेजीकरण किया है और इसके खिलाफ आवाज उठाई है।