सेंटर की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने न्यायालय से कहा कि सरकार प्रत्येक व्यक्ति को 11 लाख रुपये और भारी-भरकम मासिक पेंशन दे रही है, लेकिन ये पुरस्कार पूरी तरह मनमाने ढंग से दिए जा रहे हैं, जिस पर शासकीय अधिवक्ता ने जवाब के लिए समय मांगा।
न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोरा और न्यायाधीश राजन रॉय की पीठ ने कहा कि इन पुरस्कारों में पब्लिक मनी का उपयोग होता है, जिसे मनमाने तरीके से नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि पूर्व में भी आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा इस संबंध में दायर याचिका में कई सवालों पर जवाब मांगे गए थे, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। न्यायालय ने जवाब देने के साथ संस्कृति सचिव को मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी 2017 को अभिलेखों के साथ तलब किया है।
न्यायालय में प्रार्थना की गई है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी बना कर वर्ष 2012-16 के बीच दिए गए सभी यश भारती पुरस्कारों की समीक्षा कराई जाए और गलत ढंग से पुरस्कार पाए लोगों से इसे वापस लिया जाए।