रायपुर, 24 फरवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की प्रजाति को बचाने और वंशवृद्धि के लिए वन विभाग अब नए सिरे से शोध करेगा। विभाग जगदलपुर वन विद्यालय में रखे पहाड़ी मैना को कांगेर घाटी में शिफ्ट करने की योजना भी बना रहा है।
राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एसएफआरटीआई) को इसके लिए कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। एसएफआरटीआई रिसर्च के लिए रिसर्च स्कॉलर के साथ ही देश-विदेश के पक्षी विशेषज्ञों की मदद लेगी।
एपीसीसीएफ (वन्यप्राणी) के.सी. बेबार्ता का कहना है कि पहाड़ी मैना बहुत ही संवेदनशील पक्षी है। जगदलपुर वन विद्यालय में इसी वंशवृद्धि की कोशिश की जा रही थी, लेकिन रेलवे स्टेशन और शहर इलाका होने वजह से वंशवृद्धि नहीं हो सकी। विद्यालय में रखे गए पहाड़ी मैना नर हैं या मादा, इसकी भी पहचान नहीं हो सकी। यही वजह है कि अब इसे शांत इलाके में रखकर नए सिरे से रिसर्च करने की योजना बनाई जा रही है।
मनुष्य की तरह आवाज निकालने वाली राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की वंशवृद्धि के लिए जगदलपुर वन विद्यालय में छह पहाड़ी मैना पर रिसर्च शुरू किया गया। इस पर करीब 20 लाख से अधिक खर्च हो गए, लेकिन वंशवृद्धि नहीं हुई। वन विभाग यह भी पता नहीं लगा सका कि वहां रखे पहाड़ी मैना नर हैं या मादा। वन विभाग अब नए सिरे से इसके संरक्षण और संवर्धन की योजना बना रहा है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, कांगेरघाटी में बड़ी संख्या में पहाड़ी मैना होने की सूचना वन विभाग को मिली है। इसीलिए इस क्षेत्र के कुछ पहाड़ी मैना को पकड़कर नए सिरे से रिसर्च किया जाएगा।
एसएफआरटीआई के संचालक आर.के. डे के मुताबिक, पहाड़ी मैना की वंशवृद्धि और नर-मादा की पहचान के लिए नए सिरे से कार्ययोजना बनाई जाएगी। इसमें रिसर्च स्कॉलर के साथ ही पक्षी विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। फिलहाल इसका प्रस्ताव बनाया जा रहा है। विभागीय मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, जगदलपुर, कांगेरघाटी, गुप्तेश्वर, तिरिया, कुटरु पुल्वा सहित बस्तर के जंगलों में पहाड़ी मैना हैं, लेकिन नक्सल प्रभावित होने की वजह से इसके संरक्षण और संवर्धन में विभाग को दिक्कत हो रही है।
वहीं प्रदेश में पक्षी विशेषज्ञों की भी कमी है। यही वजह है कि जगदलपुर वन विद्यालय में रखे पहाड़ी मैना का लिंग परीक्षण तक नहीं हो सका। फिलहाल नए सिरे से कार्ययोजना बनाकर विदेशी वैज्ञानिकों की मदद लेने पर विचार किया जा रहा है। जगदलपुर वन विद्यालय में छह पहाड़ी मैना थे, लेकिन एक-एक करके पांच मर गए। केवल एक बाकी है। इस मैना को छोड़ने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन अब इसे कांगेरघाटी में शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है।