पेरिस, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और यूनेस्को की महानिदेशक इरिना बोकोवा ने यहां आयोजित एक समारोह में प्रख्यात भारतीय गणितज्ञ और खगोलविद् आर्यभट्ट की अर्ध प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर ईरानी ने कहा कि भारत बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
पेरिस, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और यूनेस्को की महानिदेशक इरिना बोकोवा ने यहां आयोजित एक समारोह में प्रख्यात भारतीय गणितज्ञ और खगोलविद् आर्यभट्ट की अर्ध प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर ईरानी ने कहा कि भारत बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
ईरानी ने कहा, “भारत बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हमारी सरकार ने दुनिया की एक सबसे महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है जिसके तहत भारत के सभी भागों में शिक्षा के साथ कौशल विकास किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि जहां तक विज्ञान और गणित जैसे विषयों का सवाल है तो हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि लड़कियों और दिव्यांग बच्चों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सुविधा दी जाए।
ईरानी ने कहा कि दुनिया में स्थाई शांति तभी संभव है जब विभिन्न देशों की शिक्षा व्यवस्थाओं में व्याप्त असमानताएं कम की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी की सरकार इस मसले को हल करने की कोशिश में जुटी है।
उधर बोकोवा ने वैश्विक गणित के विकास में आर्यभट्ट और अन्य भारतीय गणितज्ञों के योगदान को रेखांकित किया जिस पर आज का पूरा विज्ञान आधारित है।
यह कार्यक्रम ‘शून्य पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का हिस्सा था जिसका आयोजन भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूनेस्को ने मिलकर किया था।
बोकोवा ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए यूनेस्को में बढ़ते भारतीय योगदान और संस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का स्वागत किया।
उन्होंने श्रोताओं को यह स्मरण दिलाया कि कई सदियों तक भारत ज्ञान और विज्ञान का केंद्र था। बोकोवा ने कहा कि भारत के कई महान गणितज्ञों के कार्य आधुनिक गणित के विकास में नींव की ईंट बने।
प्रख्यात गणितज्ञ और प्रिंसटन विश्वविद्याालय में भारतीय मूल की प्रोफेसर मंजुल भार्गव ने भारतीय कविताओं और संगीत में गणित के योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि व्याकरण की रचना करने वाले पाणिनी व्याकरणाचार्य के साथ-साथ गणितज्ञ भी थे। उन्होंने गणित के हिसाब से व्याकरण को सूत्रों में पिरोया।
भार्गव ने विभिन्न युगों के 10 प्रख्यात भारतीय गणितज्ञों के गणित की विभिन्न विधाओं में योगदान का उल्लेख किया। लेकिन उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि भारतीय पाठ्य पुस्तकों में भी उनकी कृतियों का जिक्र नहीं है।