भोपाल, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण की रक्षा एक बड़ी चुनौती बन गया है, ऐसे हालात से चिंतित डेढ़ सौ से ज्यादा पर्यावरण प्रेमी राजस्थान के भीकमपुरा में गोलबंद होने जा रहे हैं। वे सात दिन तक यहां विचार-मंथन करेंगे।
पर्यावरण प्रेमी जमा बाढ़ और सुखाड़ के साथ विकास के नाम पर होने वाले विनाश को रोकने की रणनीति बनाने के साथ आगामी कार्ययोजना भी तय करेंगे।
जल-जन जोड़ो अभियान के तहत राजस्थान के अलवर जिले के भीकमपुरा में स्थित तरुण भारत संघ के आश्रम में सात से 14 अप्रैल तक पर्यावरणीय व सामाजिक न्याय प्रशिक्षण शिविर हेाने जा रहा है। इस आयोजन में जलपुरुष राजेंद्र सिंह और एकता परिषद के पी.वी. राजगोपाल की अहम भूमिका है।
दुनिया में ‘जलपुरुष’ के नाम से पहचाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने मंगलवार को भोपाल में आईएएनएस से चर्चा कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप को समाज के लोग एक होकर कैसे बचा सकते है, इस पर सात दिन तक मंथन होगा।
उन्होंने बताया कि इस शिविर में आने वाले प्रतिनिधियों में वैचारिक और मत भिन्नता हो सकती है, मगर सभी मतैक्य होकर इस चुनौती के मुकाबले की लिए एक रोड मैप बनाएंगे।
राजेंद्र सिंह ने आगे कहा कि संकट की जनक विकास नीति है, मगर कोई भी लोकतांत्रिक सरकार इस दिशा में विचार नहीं कर रही है। विस्थापन, सूखा व बाढ़ के कारण समुदाय त्रस्त है, विकृति और विनाश जगजाहिर है, इसलिए देश में कई छोटे और बड़े आंदोलन हो रहे हैं। ये आंदोलन विकास के नाम पर विनाश को रोकने के लिए चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विकास जनित विनाश व जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को रोकने में सक्षम और इसके संरक्षण व संवर्धन में सक्षम लोगों के साथ और सामाजिक-आर्थिक बराबरी की एक समझ रखने वाले लोगों को आगे आना पड़ेगा। ऐसे लोगों को आगे लाने वाले के लिए भारत में बहुत से किसान संगठन, मजदूर यूनियन, दलित व महिला संगठन तथा गैर सरकारी संगठन सक्रिय हैं।
जलपुरुष ने आगे कहा कि देश में एकता परिषद, जलबिरादारी, राष्ट्रीय आंदोलनों का समन्वय, नवदान्य, मजदूर किसान शक्ति संगठन और अन्य सैकड़ों संगठन के कार्यकर्ता इस कार्य में लगे हैं। इन संगठनों से जुड़े लोग भीकमपुरा शिविर में हिस्सा लेने वाले हैं।
इस शिविर का ब्योरा देते हुए हुए राजेंद्र सिंह ने बताया कि शिविर में जलवायु परिवर्तन क्या है, यह क्यों, कैसे, कब होता है, इस पर चर्चा होगी। दलित, आदिवासी और महिला आंदालनों में पर्यावरण की समझ क्यों जरूरी है और इस सब में संगठनों और आंदोलनों की जिम्मेदारी और भागीदारी को कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं, यह विचार किया जाएगा। इसके बाद एक कार्ययोजना भी सामने लाई जाएगी।
भीकमपुरा शिविर में विभिन्न संगठनों, आंदोलनों, विभिन्न विचारधारा, दल, हर वर्ग और सामाजिक आंदोलनों से जुड़े लोग हिस्सा लेंगे। इस शिविर में प्रथम पंक्ति का नेतृत्व दूसरी पंक्ति को प्रशिक्षण देगा।