मुंबई, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कहा कि वर्ष 2035 में शताब्दी वर्ष तक के लिए वित्तीय समावेशीकरण की रूपरेखा तैयार करें और गरीबों के जीवन में बदलाव लाने में मदद करें।
रिजर्व बैंक की 80वीं सालगिरह के अवसर पर वित्तीय समावेशीकरण पर आरबीआई के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “आरबीआई 2035 में सौ वर्ष पूरे कर लेगा और यह उपयुक्त होगा कि वह वित्तीय समावेशीकरण के लक्ष्यों पर काम करे और उसे हासिल करने की रूपरेखा बनाए।”
मोदी ने कहा, “मैं गरीबों, वंचितों और जनजातीय समूहों का प्रतिनिधि हूं। मैं उनमें से एक हूं। मैं उनकी ओर से मांग करता हूं और मुझे विश्वास है कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे।”
उन्होंने कहा कि आरबीआई के शताब्दी वर्षगांठ के अलावा वित्तीय समावेशीकरण लक्ष्य हासिल करने के लिए वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ और 2025 में आरबीआई की स्थापना की 90वीं वर्षगांठ सहित कुछ अन्य पड़ाव भी हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशीकरण की रूपरेखा बनाने के लिए ये चार महत्वपूर्ण तिथियां हो सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि बैंकों को गरीबों को और खास कर कृषि क्षेत्र में ऋण देने और उसकी वापसी की प्रक्रिया में नरमी बरतनी चाहिए।
गरीबों की समस्याओं और किसानों की आत्महत्या पर व्यथा जताते हुए उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए। उन्होंने किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए बैंककर्मियों से सृजनात्मक वित्तीय समावेशीकरण के उपकरण बनाने की अपील की।
मोदी ने कहा, “हमारे गरीब किसान आत्महत्या कर लेते हैं। इस बात का दर्द सिर्फ पत्रकारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। जब किसान आत्महत्या करते हैं, तो क्या बैंकिंग क्षेत्र की आत्मा विचलित होती है? वे इसलिए आत्महत्या करते हैं, क्योंकि उन्हें सूदखोरों से कर्ज लेना पड़ता है।”
उन्होने बैंकों से वित्तीय समावेशीकरण को आदत में शुमार करने की अपील करते हुए उन्हें महिला स्वयं सहायता समूहों से प्रेरणा लेने और जानकारी तथा कौशल बढ़ाने के लिए युवाओं की जरूरत का ध्यान रखने के लिए कहा और प्रस्तावित मुद्रा पहल का उदाहरण दिया।
वित्तीय समावेशीकरण के लिए आर्थिक तथा सामाजिक मानक के अलावा भौगोलिए मानक भी बनाने की अपील करते हुए उन्होंने बेशुमार आर्थिक संभावनाओं वाले पूर्वोत्तर राज्यों के लिए योजना बनाने का भी सुझाव दिया।
मोदी ने विगत 80 वर्षो में आरबीआई की भूमिका और मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन की विशेषज्ञता की सराहना की। उन्होंने आरबीआई से अपील की कि वह मेक इन इंडिया पहल के तहत नोट मुद्रण में काम आने वाले कागज और इंक का विनिर्माण सुनिश्चित करने में भूमिका निभाएं।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना को जबरदस्त सफलता मिली है।
जेटली ने कहा कि अगले चरण में खाताधारकों को दुर्घटना और जीवन बीमा के संदर्भ में एक निश्चित सीमा तक सामाजिक सुरक्षा देना, गरीबों को सरकार, बैंकिंग प्रणाली और अन्य संस्थानों की सहायता से वैकल्पिक पेंशन योजना देना एक चुनौती होगी।
सम्मेलन में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीवी राव और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।