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लिथुआनिया में सबकी जुबां पर हैं राज कपूर.. अमिताभ : प्रो. देमेन्तास हिंदी की कर रहे साधना

October 16, 2015 7:00 pm by: Category: साक्षात्कार Comments Off on लिथुआनिया में सबकी जुबां पर हैं राज कपूर.. अमिताभ : प्रो. देमेन्तास हिंदी की कर रहे साधना A+ / A-

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देश के माथे की बिंदी कही जाने वाली हिंदी भाषा अब भारत के साथ ही विश्व पटल पर आकार ले रही है। विदेशों में कम ही सही, लेकिन हिंदी को अपनाने व सीखने वालों की तादाद में इजाफा हुआ है, जिसमें भारतीय सिनेमा (बॉलीवुड) का बहुत योगदान है। जहां विदेशी शायद किसी भारतीय लेखक को नहीं जानते हों, लेकिन वहां फिल्म अभिनेता राज कपूर और अमिताभ बच्चन का नाम लोगों की जुबां पर चढ़ा हुआ है।

देश के माथे की बिंदी कही जाने वाली हिंदी भाषा अब भारत के साथ ही विश्व पटल पर आकार ले रही है। विदेशों में कम ही सही, लेकिन हिंदी को अपनाने व सीखने वालों की तादाद में इजाफा हुआ है, जिसमें भारतीय सिनेमा (बॉलीवुड) का बहुत योगदान है। जहां विदेशी शायद किसी भारतीय लेखक को नहीं जानते हों, लेकिन वहां फिल्म अभिनेता राज कपूर और अमिताभ बच्चन का नाम लोगों की जुबां पर चढ़ा हुआ है।

हिंदी भाषा को विदेशों में आखिर किस तरह से वहां के लोग देखते हैं? उसके प्रति कैसा भाव रखते हैं? संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए विदेशियों का क्या रुझान है? कुछ ऐसे सवाल हमारे अंदर कौंधते हैं। ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं लिथुआनिया के वीनस विश्वविद्यालय में हिंदी चलचित्र एवं हिंदी भाषा के प्राध्यापक प्रो. देमेन्तास वलन्चूनास :

प्रश्न : हिंदी भाषा के संपर्क में कैसे आए?

उत्तर : ये बहुत कठिन सवाल है। लोग मुझसे ये पूछते रहते हैं और मैं नहीं जानता कि मैं कैसे हिंदी के संपर्क में आया। क्या जवाब दूं, समझ में नहीं आता। हां, मेरी मां को हिंदी फिल्में देखने का बहुत शौक था। बचपन में वो जब सिनेमा देखने जातीं तो मुझे भी ले जाती थीं। इसी से संपर्क में आया।

प्रश्न : क्या लिथुआनिया में कुछ भारतीय रहते हैं?

उत्तर : बहुत कम। अधिकांश ऐसे हैं जो नौकरी या व्यापार करने के लिए आए हैं।

प्रश्न : लिथुआनिया के निवासियों का भारत के प्रति क्या दृष्टिकोण है?

उत्तर : वहां पर लोग अभी भी इंडिया को थोड़ा रोमांटिक दृष्टि से देख रहे हैं। लोगों को मीडिया से ही इंडिया के बारे में जानकारी मिल रही है। यह इंडिया की सभ्यता बहुत पुरानी है और भारत बहु-सांस्कृतिक देश है। आधुनिक हिंदी या आधुनिक भारत के इतिहास को लोग ज्यादा नहीं जानते। ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि उन्हें जानकारी दें कि आजकल भारत में क्या-क्या चलता है, लोग क्या-क्या करते हैं..।

प्रश्न : भारतीय संस्कृति और समाज के प्रति लिथुआनिया के लोगों की कैसी अवधारणा है?

उत्तर : लिथुआनिया के लोग जानते हैं कि भारत के लोग बहुत मिलनसार होते हैं। अतिथियों को बहुत सम्मान देते हैं। समाज के बारे में जानते हैं कि यहां बहुत गरीबी है। यहां अमीर लोग भी रहते हैं, लेकिन गरीब और अमीर लोगों के बीच काफी फासला होता है। लेकिन ये भी जानते हैं कि प्राकृतिक दृश्य बहुत सुंदर हैं, समुद्र हैं, पहाड़ हैं तो मैदानी इलाके भी बहुत बड़े-बड़े हैं। बहुत से दर्शनीय स्थल हैं.. आप जो भी चाहते हैं, सब कुछ मिल जाएगा।

प्रश्न : हिंदी भाषा के प्रति लिथुआनिया के लोगों का मनोभाव कैसा है?

उत्तर : वहां के लोग नहीं जानते कि भारत में इतनी भाषाएं हैं। हिंदी के बारे में वे ही छात्र जानते हैं जो हिंदी सीखने के लिए आते हैं। दूसरे लोग तो हिंदी भाषा के बारे में कहते हंै कि ये हिंदू की भाषा है, हिंदुस्तान की भाषा है।

प्रश्न : लिथुआनिया में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक हिंदी पाठ्यक्रम है?

उत्तर : हिंदी केवल विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है। हमारे यहां हर साल 8-10 छात्र ही होते हैं जो हिंदी सीखना चाहते हैं। लेकिन हम कभी-कभी विद्यालयों में जाते हैं और वहां बच्चों को हिंदी भाषा के बारे में, देवनागरी लिपि के बारे में बताते हैं कि शब्द कैसे लिखते हैं। हिंदी सिखाने के लिए कक्षाएं केवल विश्वविद्यालय में संचालित होती हैं।

प्रश्न : लिथुआनिया के कितने विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है?

उत्तर : सिर्फ एक विश्वविद्यालय में.. वीनस यूनिवर्सिटी में।

प्रश्न : आपके देश में हिंदी में, हिंदी के लिए और क्या-क्या काम हो रहे हैं साहित्य में, पत्रकारिता में, फिल्मों में?

उत्तर : जब लिथुआनिया सोवियत संघ का हिस्सा था तो हिंदी फिल्में चलती थीं। लोग सिनेमाघर हिंदी फिल्में देखने के लिए जाते थे। अभी भी हिंदी फिल्में चलती हैं लेकिन कम, अमेरिकन फिल्में अब ज्यादा चलती हैं।

प्रश्न : कौन से अभिनेता, अभिनेत्री पसंद है?

उत्तर : लिथुआनिया के लोग ऐश्वर्या राय को जानते हैं, क्यांेकि बहुत साल पहले वह एक बार लिथुआनिया में आई थीं। वैसे जिन्हें हिंदी फिल्में देखने का शौक है उन्हें राज कपूर और अमिताभ बच्चन ज्यादा पसंद हैं।

प्रश्न : हिंदी की कौन-कौन सी फिल्में वहां लोकप्रिय हैं?

उत्तर : श्री 420, मेरा नाम जोकर, दीवार, संगम, जंजीर, शोले और भी बहुत सारी।

प्रश्न : कौन-कौन सी फिल्में वहां पाठ्यक्रम में हैं?

उत्तर : पुरानी से लेकर आधुनिक तक पढ़ाता हूं। पुरानी में राज कपूर की फिल्मों के बारे मे बताता हूं। 70 के दशक की अमिताभ बच्चन की फिल्मों के बारे में बताता हूं। मेरा ये विचार है कि भारतीय समाज में जो होता है, वह हम फिल्मों के माध्यम से समझ सकते हैं। आमतौर पर मैं ‘श्री 420’ का एक मिसाल लेता हूं और राज कपूर की जो फिल्म रूस से संबंधित है ‘मेरा नाम जोकर’ वो भी लेता हूं अपने पाठ्यक्रम में। और भी बहुत सी फिल्मों के बारे में पढ़ाता हूं।

प्रश्न : हिंदी सिनेमा के अध्ययन-अध्यापन से हिंदी भाषा के प्रति छात्रों की रुचि बढ़ी है?

उत्तर : हां-हां, बिल्कुल। उनको काफी आश्चर्य होता है कि हिंदी फिल्में कितनी अच्छी होती हैं। उनकी न सिर्फ फिल्मों में रुचि बढ़ती है, बल्कि भाषा में भी रुचि बढ़ती है।

प्रश्न : हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वहां कोई संस्था है?

उत्तर : हां, एक संस्था है जो ‘सुर साधना’ आयोजित करती है। इसमें नृत्य, संगीत आदि का आयोजन होता है, जिसमें लिथुआनिया के लोगों का भारतीय संस्कृति से मिलन होता है।

प्रश्न : लिथुआनिया में हिंदी भाषा के प्रसार के लिए आपको भारत सरकार कितना सहयोग करती है?

उत्तर : भारतीय दूतावास हमें बहुत मदद देता है, पुस्तकें आदि दिलाने में।

प्रश्न : आप विश्व के हिंदी भाषियों से, हिंदी प्रेमियों को कुछ संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर : यही कहना चाहता हूं कि मुझे आशा है कि हिंदी भाषा दूसरे देशों में भी पढ़ाई जाए। लोग इसे पढ़ें और हिंदी बोलने वालों की संख्या बढ़े।

प्रश्न : भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत है। क्या आपके देश की सरकार इसका समर्थन करेगी?

उत्तर : कर भी सकती है, पर मुझे निश्चित मालूम नहीं। हां, उसका हिंदी भाषा और भारत से कोई अंतर्विरोध नहीं है। अगर वह समर्थन नहीं करती तो विरोध भी नहीं करेगी।

प्रश्न : भारत सरकार से क्या सहयोग चाहिए?

उत्तर : मैं चाहता हूं कि भारत के हिंदी शिक्षक जरूर आएं लिथुआनिया में। पाठ्यक्रम बनाने में भी सहयोग करें। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे भोपाल में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में आने का मौका मिला। (आईएएनएस/आईपीएन)

(साक्षात्कारकर्ता श्याम नंदन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में शोध छात्र हैं)

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