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 लोकतंत्र में भाषा आपत्तिजनक नहीं होनी चाहिए : नीतीश | dharmpath.com

Monday , 16 June 2025

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लोकतंत्र में भाषा आपत्तिजनक नहीं होनी चाहिए : नीतीश

पटना, 13 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां सोमवार को कहा कि लोकतंत्र में ‘डिबेट’ होता रहता है, लोग अपने-अपने विचार रखते हैं, लेकिन भाषा ऑब्जेक्शनेबल (आपत्तिजनक) नहीं होनी चाहिए।

पटना में लोकसंवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के प्रश्नपत्र लीक मामले पर कहा, “बीएसएससी मामला हो या इंटर टॉपर्स घोटाला हो, कानून अपना काम करता रहा है और अपराधी सलाखों के पीछे जाते रहे हैं। इस मामले में भी कारवाई हो रही है।”

उन्होंने कहा, “हमारा शुरू से सिद्धांत रहा है कि न किसी को बचाने में विश्वास है न ही फंसाने में, कानून अपना काम करेगा। किसी को भी विशिष्टता प्राप्त नहीं है, कानून की नजर में सब बराबर हैं। पुलिस जांच पर भरोसा करना चाहिए।”

बिहार लोक सेवा अयोग (बीपीएससी) एवं अन्य आयोगों द्वारा आयोजित परीक्षाओं को समय पर होने के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में सरकार द्वारा समीक्षा की गई है।

उन्होंने कहा, “मेरी इच्छा है कि बीपीएससी भी संघ लोक सेवा अयोग, नई दिल्ली की तरह अपना परीक्षा कार्यक्रम घोषित करे। समान्य प्रशासन विभाग बीपीएससी से बातचीत कर इस संबंध में कारगर कदम उठाने के प्रयास में है।”

नीतीश कुमार ने कहा कि राजगीर में फिल्म सिटी निर्माण के संदर्भ में काम चल रहा है। इस मामले में सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के साथ भी बातचीत हुई है।

मुख्यमंत्री ने कुछ पत्रकारों पर तंज कसते हुए कहा, “मेरी बातों को अलग तरह से लिया जाता है। नोटबंदी का मुद्दा हो या कोई और, आपलोग उसे तरह-तरह के तरीके से छापते और दिखाते हैं। उसका मुझ पर असर नहीं पड़ता, मैं जो कहता हूं एक बार ही कहता हूं और अपनी बातों पर कायम रहता हूं।”

उन्होंने एक बार फिर कहा कि नोटबंदी के फायदे के विषय में केंद्र सरकार को बताना चाहिए। उन्हांेने कहा कि कालेधन के लिए केवल नोटबंदी से काम नहीं चलेगा, बेनामी संपत्ति पर भी प्रहार करना चाहिए।

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