भोपाल– विश्व हिंदी सम्मेलन जो अपनी शुरुआत के पहले ही विवादों और आलोचनाओं का शिकार बन गयी है इसमें पत्रकारों को इसका सही स्वरूप जान कर सही रिपोर्टिंग से रोके जाने की साजिश है.पत्रकारों की स्थिति ऐसी बना दी गयी है जैसे वे सिर्फ प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को और अमिताभ बच्चन को देखने जा रहे हैं.इस आयोजन में परम्पराओं को अनदेखा करते हुए कार्य किये जा रहे हैं .पत्रकार ना ही इसकी रिपोर्टिंग कर सकेंगे और ना ही सच्चाई सामने आएगी.जनता के पैसे पर जनता के लिए कार्य ना होकर मात्र कुछ लोगों की ब्रांडिंग में यह कार्यक्रम पलक-पांवड़े बिछाये हुए है.
सम्मेलन के पूर्व पत्रकार-वार्ता आयोजित नहीं की गयी
इस कार्यक्रम के पूर्व पत्रकारों को इसके कार्यक्रम,विषयवस्तु आदि से अवगत नहीं करवाया गया.किसी भी राष्ट्र के प्रधानमन्त्री पत्रकारों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन ना वे इस यात्रा पर पत्रकारों से मुखातिब होंगे और ना ही उन्होंने ऐसी कोई मंशा जाहिर की.
नेता अपनी समझ से इसकी व्याख्या कर रहे,किसी को नहीं पता क्या हो रहा
विश्व हिंदी सम्मेलन की प्रत्येक नेता अपनी तरह से व्याख्या कर रहे ,आयोजन का प्रबंधन कुछ लोगों के हाथों में है बस उन्हें ही पता है की यह क्या हो रहा और इसका उद्देश्य क्या है.मोदी पहले कार्यकर्ताओं की मीटिंग को संबोधित करेंगे फिर मात्र 10 मिनिट हिंदी सम्मेलन को देंगे ,लेकिन श्रोताओं में मोदी को पूर्व की तरह अब सुनने की लालसा ख़त्म दिखती है क्योंकि दिवास्वप्न अब वह देखना नहीं चाहता.
राष्ट्रवासियों के धन के बल पर अपनी राजनीती चमकाने की साजिश
धन की कमी से जूझते इस भारत-वर्ष में लगभग 100 करोड़ की होली इन तीन दिनों में जला दी जायेगी.हिंदी का वही होगा जो अन्य कार्यक्रमों का हुआ लेकिन अपनी ब्रांडिंग को तरसते ये नेता इस 100 करोड़ की होली जला ठहाके अवश्य लगायेंगे और जनमानस को फिर करों के बोझ में लाड देंगे सिर्फ अपनी छवि को चमकाने के लिए.
पत्रकारों को ब्रीफिंग से काम चलाना होगा
पत्रकारों को सत्रों के रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं है.सिर्फ जो प्रेस-ब्रीफ दी जायेगी वाही लिख कर काम चलाना होगा.मतलब अन्दर की सच्चाई प्रशासन की नजर से देखनी होगी और लिखनी होगी.