लंदन, 29 मई (आईएएनएस)। वर्ष 2008-10 के वैश्विक आर्थिक संकट और इसके कारण बेरोजगारी बढ़ने से कैंसर से मरने वालों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। यह निष्कर्ष एक अध्ययन में सामने आया है।
अध्ययन के मुताबिक, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के 35 सदस्य देशों में इस दौरान कैंसर से मरने वालों की संख्या में 2,60,000 से अधिक वृद्धि दर्ज की गई।
शोधार्थियों ने अपने अध्ययन में 70 से अधिक देशों से 1990 से 2010 के बीच जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर बेरोजगारी, चिकित्सा पर सरकारी खर्च और कैंसर से मरने वालों की संख्या के बीच संबंध स्थापित किया।
आंकड़ों के अभाव के कारण भारत, चीन और अन्य निम्न-आय वाले देशों को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया जा सका।
अध्ययन के मुतााबिक, इस दौरान जिन देशों में संपूर्ण स्वास्थ्य बीमा (यूएचसी) लागू था और जिन देशों ने चिकित्सा पर सरकारी खर्च बढ़ाए, वहां कैंसर से मरने वालों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई।
यह अध्ययन शोध पत्रिका ‘द लांसेट’ में प्रकाशित हुआ है।
वरिष्ठ अध्ययन लेखक और हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के प्रोफेसर रिफत अतुन ने कहा, “आर्थिक संकट के कारण बढ़ी बेरोजगारी और सरकारी खर्च घटाए जाने का कैंसर से होने वाली मौत से संबंध है। संपूर्ण स्वास्थ्य बीमा कैंसर से होने वाली मौत से बचाता है।”
आर्थिक संकट के कारण बढ़ी बेरोजगारी के कारण लोगों की स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच घट जाती है और रोग का देर से पता चलता है या चिकित्सा में देरी होती है।
अध्ययन में यह भी पता चला है कि इस अवधि में कैंसर से होने वाली मौत उच्च आय वाले देशों की तुलना में मध्य आय वाले देशों में अधिक बढ़ी।