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 व्यापमं : नाम बदलने से धुल जाएंगे दाग? | dharmpath.com

Friday , 2 May 2025

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व्यापमं : नाम बदलने से धुल जाएंगे दाग?

May 12, 2015 8:15 pm by: Category: भारत Comments Off on व्यापमं : नाम बदलने से धुल जाएंगे दाग? A+ / A-

mono3भोपाल, 12 मई (आईएएनएस)| एक मशहूर कहावत है ‘नाम में क्या रखा है’, मगर मध्य प्रदेश की सरकार को लगता है कि नाम में ही सब कुछ है, यही वजह है कि घोटालों के कारण सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बने व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम बदलने का फैसला ले लिया।

राज्य में पीएमटी और पीईटी की परीक्षाओं के लिए दिग्विजय सिंह के शासनकाल में ‘व्यापमं’ं अस्तित्व में आया था और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद व्यापमं के जरिए सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षा आयोजित की जाने लगी। व्यापमं में हुए घोटाले उजागर होने के बाद इस संस्था की प्रतिष्ठा ही दांव पर लग गई।

व्यापमं द्वारा आयोजित की गई पीएमटी, परिवहन आरक्षक (टांसपोर्ट कांस्टेबल) भर्ती, उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) भर्ती, शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। फिलहाल उच्च न्यायालय जबलपुर की देखरेख में विशेष जांच दल (एसआईटी) के निर्देशन में पुलिस का विशेष कार्य बल (एसटीएफ ) जांच कर रहा है।

एसटीएफ द्वारा व्यापमं घोटालों की जांच की जा रही है और अब तक सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से लेकर कई भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेता, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी जेल में है। इन घोटालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेता, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राज्यपाल रामनरेश यादव पर भी आंच आई है।

कांग्रेस नेताओं ने इन घोटालों के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार पर भी सवाल उठाते रहे हैं।

राज्य के मुख्यमंत्री चौहान विधानसभा तक में स्वीकार चुके हैं कि व्यापमं के जरिए एक हजार फर्जी भर्तियां हुई हैं। यह बात भी सही है कि व्यापमं घोटले की जांच की पहल भी मुख्यमंत्री ने की थी। हालांकि व्यापमं की एक एक्सेलशीट से छेड़छाड़ के आरोप भी चौहान पर लगे हैं, मगर इस मामले में चौहान को एसआईटी की रिपोर्ट पर उच्च न्यायालय ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

व्यापमं का नाम आते ही गड़बड़ी और घोटालों का सवाल उठ खड़ा होता है। यही कारण है कि सरकार ने व्यापमं का नाम बदलकर मध्य प्रदेश भर्ती एवं प्रवेश परीक्षा मंडल (मभप्रप) करने का फैसला लिया है, अब इस पर विधानसभा में विधेयक लाया जाना है।

सरकार के इस फैसले पर विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विधायक अजय सिंह ने कहा, “व्यापमं का नाम बदलने से मुख्यमंत्री शिवराज के पाप नहीं धुलेंगे। अगर वास्तव में वे अपने पर लगे कलंक का प्रायश्चित करना चाहते हैं तो पद से इस्तीफा दे दें और व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौप दें।”

सिंह ने आगे कहा कि अगर शिवराज सीबीआई की जांच में बेदाग होकर निकलते हैं तो उनका राजनीतिक भविष्य भी उज्ज्वल होगा, मगर उन्हें डर है कि ऐसा होने वाला नहीं है। अगर सीबीआई ने जांच की तो उनका नाम अभियुक्तों में शुमार होना तय है, लिहाजा वे जांच सीबीआई को नहीं सौंपना चाहते।

वहीं सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सरकार व्यापमं का नाम विचार-विमर्श के बाद बदलना चाहती है, इसीलिए विधानसभा में विधेयक लाया जाएगा, जहां तक आरोपों का सवाल है तो उसे न्यायालय ने धो दिया है।

वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने आईएएनएस से कहा, “यह बात सही है कि व्यापमं का नाम बदनाम हो चुका है, मगर सिर्फ नाम बदलने से कुछ नहीं होने वाला। इसमें ढांचागत परिवर्तन होना चाहिए। साथ ही उन कारणों को सुधारना होगा, जिनके चलते गड़बड़ियां सामने आई हैं। अगर खामियों को सुधार दिया जाए तो नाम बदलने की जरूरत ही नहीं है।”

सरकार द्वारा व्यापमं का नाम बदलने के लिए शुरू हुए प्रयासों से सवाल उठने लगा है कि क्या सरकार वाकई भर्ती परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों को रोकना चाहती है या मंशा कुछ और ही है।

व्यापमं : नाम बदलने से धुल जाएंगे दाग? Reviewed by on . भोपाल, 12 मई (आईएएनएस)| एक मशहूर कहावत है 'नाम में क्या रखा है', मगर मध्य प्रदेश की सरकार को लगता है कि नाम में ही सब कुछ है, यही वजह है कि घोटालों के कारण सरका भोपाल, 12 मई (आईएएनएस)| एक मशहूर कहावत है 'नाम में क्या रखा है', मगर मध्य प्रदेश की सरकार को लगता है कि नाम में ही सब कुछ है, यही वजह है कि घोटालों के कारण सरका Rating: 0
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