बेल्जियम के शरणार्थी मंत्री थियो फ्रैंकेन इस विधेयक को तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के नियमों के तहत ऐसे प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।
बेल्जियम के राष्ट्रीय प्रसारक आरटीबीएफ ने फ्रैंकेन के हवाले से कहा, “60-70 फीसदी शरणार्थी अपने नाम, उम्र, देश में पहुंचने के रास्ते और अपने मूल देश जैसे कुछ पहलुओं के मामले में झूठ बोलते हैं।”
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे लोगों के फेसबुक खाते की भी जांच की जा सकती है।
वर्तमान नियमों के तहत ऐसी जांच अनिवार्य नहीं है और आवेदक इससे इनकार कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल में कई यूरोपीय देशों ने शरणार्थियों से संबंधित नियम सख्त किए हैं।