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शिमला का कचरा चंडीगढ़ के लिए परेशानी का सबब

October 11, 2015 8:23 am by: Category: पर्यावरण Comments Off on शिमला का कचरा चंडीगढ़ के लिए परेशानी का सबब A+ / A-

shimlaचंडीगढ़, 11 अक्टूबर – पहाड़ों की रानी शिमला और खूबसूरत नगरी चंडीगढ़ दोनों एक ही लड़ाई लड़ रहे हैं और वह है – कचरे की समस्या।

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के एक आदेश के बाद, इस सप्ताह के प्रारंभ से ही हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से कई टन कचरा चंडीगढ़ ले जाया जा रहा है, जिसे यहां 500 टन प्रतिदिन की क्षमता वाली भट्टी में शोधित किया जाएगा।

लेकिन इस कदम से चंडीगढ़ में काफी दरुगध फैल रही है और नगर निगम इस खूबसूरत शहर में किसी और स्थान का कूड़ा लाने का विरोध कर रहा है।

चंडीगढ़ नगर निगम की आयुक्त भावना गर्ग ने शिमला के अपने समकक्ष को पत्र लिखकर शहर का कचरा यहां भेजने पर आपत्ति जताई है।

अपने पत्र में गर्ग ने लिखा है कि एनजीटी का आदेश चंडीगढ़ नगर निगम को शामिल किए बगैर दे दिया गया। गर्ग ने शिमला के निगम आयुक्त से आग्रह किया है कि एनजीटी की सुनवाई की अगली तारीख यानी 13 अक्टूबर तक कचरा न भेजा जाए।

एनजीटी के आदेश का संज्ञान लेते हुए चंडीगढ़ नगर निगम के अधिकारी इस मामले में चंडीगढ़ को पक्ष बनाने के लिए एनजीटी जाने की तैयार कर रहे हैं। एनजीटी का आदेश एक अक्टूबर को आया था और पांच अक्टूबर से कचरे से भरे ट्रक यहां आने शुरू हो गए थे।

चंडीगढ़ नगर निगम के अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि शहर में कचरा केवल शिमला से ही नहीं आ रहा, बल्कि हिमाचल प्रदेश के ही सोलन शहर और औद्यौगिक केंद्र बद्दी से भी आ रहा है।

चंडीगढ़ की महापौर पूनम शर्मा ने इसी मुद्दे पर गुरुवार को निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की।

शर्मा ने कहा, “मुलाकात में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई और फैसला किया गया कि एनजीटी के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की जाएगी।”

चंडीगढ़ ने अपना कचरा उपचार संयंत्र दादू माजरा गांव में लगाया है, जिसका प्रबंधन निजी क्षेत्र के जेपी समूह द्वारा किया जाता है।

उपचार संयंत्र के अधिकारियों ने कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अन्य स्थानों से कचरा स्वीकार न करने के निर्देश के बावजूद वे एनजीटी के आदेश से बंधे हैं।

अगर एनजीटी का आदेश वापस नहीं लिया जाता तो चंडीगढ़ हर रोज हिमाचल प्रदेश से 90-100 टन कचरा शोधन के लिए स्वीकार करेगा।

चंडीगढ़ में हर रोज लगभग 250 टन कचरा पैदा होता है, जो इस उपचार संयंत्र में शोधित होता है।

शोधित कचरे को ईंधन में परिवर्तित करके ऊर्जा और सीमेंट संयंत्रों में इस्तेमाल किया जाता है।

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