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 शिवराज की नीतियां ठेकदार परस्त : राजेंद्र सिंह | dharmpath.com

Wednesday , 14 May 2025

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शिवराज की नीतियां ठेकदार परस्त : राजेंद्र सिंह

भोपाल, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित ‘जलपुरुष’ राजेंद्र सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीतियों में बीते एक दशक में बड़ा बदलाव आया है। चौहान ने जब राज्य की सत्ता संभाली थी तो उनकी नीतियां समाज हितैषी थीं। अपने पहले कार्यकाल में वह इस पर अमल करते भी दिखे, पर अब उनकी योजनाएं और नीतियां पूरी तरह ठेकेदार परस्त हो गई हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में बुधवार को आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में हिस्सा लेने आए राजेंद्र सिंह ने आईएएनएस से कहा, “उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के नाम पर नर्मदा नदी के जल को क्षिप्रा में लाकर उसे प्रवाहमान बनाया गया। सरकार के इस तर्क पर भरोसा भी किया जा सकता है कि उस समय पानी की जरूरत थी। पर अगले कुंभ में भी इसी तरह से पानी लाया जाए यह ठीक नहीं होगा। इसलिए अभी से यह प्रयास होना चाहिए कि क्षिप्रा को पुनर्जीवित कर उसे प्रवाहमान बनाया जाए, क्योंकि कुंभ को अभी 12 वर्ष हैं।”

राजेंद्र सिंह के अनुसार, वर्ष 2005 में चौहान ने जब राज्य की कमान संभाली थी तो उनका काम करने का तरीका समाज हितैषी था। उन्होंने राज्य के ईमानदार अफसरों को जल, जंगल व जमीन के संरक्षण के काम में लगाया था। मगर मुझे यह समझ में नहीं आता कि अच्छी शुरुआत करने वाले चौहान की नीतियां और योजनाएं बीते एक दशक में कैसे बदल गईं। वह इसे भूल कैसे गए, आखिर किस लाभ के चलते ऐसा हुआ?

बकौल राजेंद्र सिंह, चौहान के शुरुआती कामकाज के तौर तरीके से लगता था कि यह गांव और आम आदमी का मुख्यमंत्री है, क्योंकि उनके काम करने का तरीका ही कुछ ऐसा ही था। तब लगता था कि वह गांव का ख्याल रखेंगे। पर वह अपने दूसरे कार्यकाल में गांव को भूल गए, पानी को भूल गए। अब तो उन्हें सड़कें, बड़े बांध, नदी जोड़ना ज्यादा रुचिकर लगने लगे हैं। यानी वह अब ऐसे काम ज्यादा करने लगे हैं, जिनमें ठेकेदारों की भागीदारी अधिक होती है। यह सब ठेकेदारों के चंगुल में फंसने से हुआ है।

उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने इन्हें भरपूर मौका दिया है और तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया है। वे चाहते तो जनता की अपेक्षाओं को पूरा कर सकते थे, उस पर खरे उतर सकते थे, पर ऐसा हो नहीं पाया। वह जन अपेक्षाओं पर खरे तब उतरेंगे, जब मध्य प्रदेश के गांव बचेंगे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर चौहान को ‘गांव बचेंगे, देश बचेगा’ के नारे को आधार बनाकर काम करना चाहिए। लालच के काम करने, साइकिल बांटने, कंप्यूटर बांटने से समाज का भला नहीं होने वाला। हां, इससे राजनीतिक स्वार्थ जरूर पूरा हो सकता है।

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