लंदन, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। लंदन में 7 जुलाई, 2005 को हुए बम विस्फोटों ने ब्रिटेन के लोगों का मुसलमानों और प्रवासियों के प्रति नजरिया बदल दिया था। उस दौरान ब्रिटेनवासी (नागरिक) भी रूढ़िवादी व्यक्तियों की भूमिका में आ गए थे। एक नए अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है।
ब्रिटेन के नागरिकों पर हुए दो राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण के अनुसार, लंदन हमलों के दौरान ब्रिटेन के नागरिकों में राष्ट्र के प्रति वफादारी की भावना बढ़ गई लेकिन आपसी समन्वय और समानता की भावना में कमी आई। हमलों के बाद भावनाओं में आया यह बदलाव केवल नागरिकों में ही नहीं राजनीतिज्ञ उदारवादियों में भी देखा गया।
इस सर्वेक्षण के सदस्य और केंट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक ने बताया, “हमारा सर्वेक्षण यह बताता है कि इन घटनाओं ने लोगों के अंदर मुसलमानों और अप्रवासियों के प्रति समान व्यवहार की जगह पक्षपात की भावनाएं भर दी थीं।”
सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि इन घटनाओं का प्रभाव राइट लीनिंग राजनीति से ज्यादा लेफ्ट लीनिंग में देखा गया।
इस सर्वेक्षण की सदस्य जूली वैन डी वाइवर कहती हैं, “इस तरह का वातावरण बनाने का मकसद अप्रवासियों के प्रति सहिष्णुता, समानता और विश्वास की भावनाओं को खत्म करना होता है।”
साल 2005 में लंदन में सार्वजनिक परिवहनों में बम विस्फोट हुए थे। इन हमलों में 52 लोगों की मौत और 770 लोग घायल हुए थे।
वैज्ञानिकों ने दो राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण के नए आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
अपेक्षाकृत इन विस्फोटों के बाद लोगों में मुसलमानों के प्रति नकारात्मक विचारों की वृद्धि हुई, लेकिन यह केवल उदारवादियों में ही देखा गया, जबकि परंपरावादियों का रुख पहले की तरह स्थिर था। इससे पता चलता है कि कैसे उदारवादियों का नजरिया परंपरावादियों की तरह हो गया था।
यह निष्कर्ष बताते हैं कि लोगों का नैतिक दृष्टिकोण अनिवार्य रूप से स्थिर नहीं रहता, बल्कि स्थितियों के अनुसार उसमें परिवर्तन होता रहता है।
इस अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं का तर्क है कि आतंकी घटनाएं परंपरावादियों की सोच और प्राथमिकताओं को अधिक मजबूती से संघटित करती हैं।
अगर सरल भाषा में कहा जाए तो यह उदारवादियों की सोच को कमजोर कर उन्हें परंपरावादियों के पक्षपात वाले नजरिए में बदल देती हैं।
यह निष्कर्ष ‘साइकोलॉजिकल साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।