मुंबई, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में शाम 6 से 9 बजे के शो में सिर्फ मराठी फिल्में दिखाए जाने के सरकारी फरमान का विरोध करने पर शिवसेना और रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया ने गुरुवार को मशहूर लेखिका शोभा डे के घर के बाहर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बैनर व ट्रे ले रखा था, जिसमें बड़ा-पाव, मिसल, दही-मिसल व वादी थे। उन्होंने शोभा डे के खिलाफ नारे लगाए।
राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना सरकार ने महाराष्ट्र के मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों को प्रतिदिन शाम 6 से 9 बजे के बीच मराठी फिल्में दिखाने का आदेश जारी किया है। शोभा डे ने इसके विरोध में ट्विटर पर टिप्पणियां की थीं। प्रदर्शनकारियों ने उनकी टिप्पणियों की निंदा की।
दक्षिण मुंबई के कफ परेड मैदान के करीब स्थित शोभा डे के आवास के बाहर बड़ी संख्या में तैनात पुलिस बल ने शिवसैनिकों को हालांकि शोभा डे के घर में प्रवेश से रोकने के लिए बल प्रयोग किया और कई लोगों को हिरासत में लिया।
प्रदर्शनकारियों से स्नैक्स लेनेवाली शोभा डे ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने ट्विटर पर जो अपनी टिप्पणियां लिखी हैं, उसपर मिले समर्थन से वह अभिभूत हैं।
प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि उन्हें इससे बिल्कुल परेशानी नहीं है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “मुझे मुंबई पुलिस पर पूरा भरोसा है। यहां पुलिस की नाकाबंदी है। मैं पूरी तरह शांत और सुरक्षित महसूस कर रही हूं। शुक्रिया मुंबई पुलिस।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं ऐसी राजनीति करने वाली पार्टी का हिस्सा कभी नहीं बनूंगी। मैं कानूनी सलाह लूंगी और कानून के हिसाब से कर्रवाई करूंगी।”
शोभा डे पिछले कुछ दिनों से सरकार के इस फैसले को तानाशाही करार देते हुए इसके विरोध में ट्वीट कर रही थीं। एक ट्वीट में उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में जो कुछ कहा है, उसका आशय यह है कि उन्हें मराठी फिल्में पसंद हैं, लेकिन मराठी फिल्म देखते समय पॉपकार्न के बजाय शायद वडापाव खाना ही ठीक रहेगा।
उन्होंने सरकार के इस फैसले पर यह भी कहा था, “यह तो देवेंद्र फडणवीस सरकार की दादागीरी है।”
इधर, शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाइक ने शोभा डे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनवीस और राज्य के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनसे माफी मांगने को कहा है।
शोभा डे द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द ‘दादागीरी’ पर पार्टी ने दुख जताया है। पार्टी ने कहा कि शोभा डे भी मराठी महिला हैं। उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए।
लेखिका ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा था, “अब एक विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के तहत मुझसे माफी मांगने के लिए कहा जा रहा है।”
शोभा डे की ‘दादागीरी’ वाली टिप्पणी पर निशाना साधते हुए पार्टी ने कहा कि यदि पूर्व में छत्रपति शिवाजी और पार्टी के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे ने दादागीरी नहीं दिखाई होती तो ‘शोभा आंटी’ के सभी पूर्वज और वंशज पाकिस्तान में पैदा हुए होते और वह शायद बुर्का पहन कर पेज-थ्री पार्टियों में शामिल होतीं।
उन्होंने सात अप्रैल को ट्विटर पर लिखा था, “देवेंद्र फडणनवीस ने फिर ऐसा काम किया। गोमांस पर प्रतिबंध से अब हिंदी, अंग्रेजी फिल्मों पर आ गए। यह वह महाराष्ट्र नहीं है, जिसे हम सब प्यार करते हैं। नको नको। ये सब रोको। मुझे मराठी फिल्में पसंद हैं। इसलिए देवेंद्र फडणनवीस, इसका फैसला मुझे यानी दर्शकों को करने दीजिए कि मैं मराठी फिल्में कब और कहां देखूंगी। यह कुछ और नहीं, सिर्फ दादागीरी है।”
इसी बीच, प्रख्यात मराठी फिल्मों के निर्माता व निर्देशकों का एक प्रतिनिधिमंडल संस्कृति मंत्री विनोद तावड़े से मंत्रालय में मुलाकात की और सरकार के इस कदम की सराहना की।