नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के दरकिनार किए गए अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने सर्वोच्च न्यायालय के जनवरी में दिए आदेश की अवहेलना करने और आठ फरवरी को कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए शुक्रवार को न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी।
श्रीनिवासन का कहना है कि वह न्यायालय के आदेश को समझ नहीं पाए, जिस कारण गलतफहमी में ऐसा हो गया।
श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्बल ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, “मैं न्यायालय से क्षमा मांगता हूं। हमने आदेश पत्र को देखा, लेकिन उसका सही अर्थ नहीं समझ सके।”
श्रीनिवासन के माफीनामे को मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर और फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की युगलपीठ ने उन्हें दो मार्च को होने वाली बीसीसीआई की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) की ओर से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की भी इजाजत दे दी।
न्यायालय ने हालांकि साफ किया कि श्रीनिवासन टीएनसीए के अध्यक्ष नहीं, बल्कि केवल प्रतिनिधि के रूप में अपना मत देंगे।
न्यायालय ने साथ ही यह भी कहा कि मत देने के अलावा एजीएम में जब अन्य मुद्दों पर चर्चा हो रही होगी तब श्रीनिवासन वहां मौजूद नहीं रहे। न्यायालय के मुताबिक इस दौरान टीएनसीए का प्रतिनिधित्व किसी और व्यक्ति को करना होगा।
श्रीनिवासन ने न्यायालय से यह माफी बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) द्वारा दायर की गई उस याचिका के बाद मांगी है, जिसमें कहा गया था कि बैठक की अध्यक्षता कर उन्होंने 22 जनवरी के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 जनवरी को अपने आदेश में कहा था कि श्रीनिवासन जब तक ‘हितों के टकराव’ की स्थिति में रहेंगे, वह बीसीसीआई अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ सकते।
न्यायालय ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स में हिस्सेदारी सहित बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर भी कार्य करने लिए हितों के टकराव की स्थिति की बात कही थी।
श्रीनिवासन की ओर से उनके वकील कपिल सिब्बल ने उनकी माफी की अर्जी न्यायालय के सामने पेश की। सुनवाई के दौरान सीएबी की ओर से पेश वकील नलिनी चिदंबरम ने हालांकि अदालत से कहा कि श्रीनिवासन को एजीएम की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
इस पर न्यायालय ने कहा कि एजीएम में श्रीनिवासन हिस्सा लेना चाहते हैं या नहीं यह उन पर निर्भर करता है।
इसके बाद सिब्बल ने न्यायालय से एक बार फिर इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया और कहा, “एजीएम में कोई भी कार्यकारी फैसला नहीं लिया जाता और केवल चुनाव होने हैं। एसे में श्रीनिवासन को हिस्सा लेने की इजाजत दी जाए।”