कोलंबो, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। श्रीलंका की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में गुरुवार को अनबन देखी गई, जब गठबंधन की दो मुख्य पार्टियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यह अनबन मुख्य संवैधानिक सुधारों को समर्थन देने में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के नाकाम रहने पर नजर आई। युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) सुधारों को जल्द मंजूरी देने की मांग कर रही है।
राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना एसएलएफपी के अध्यक्ष हैं और प्रधानमंत्री राणिल विक्रमसिंघे यूएनपी प्रमुख हैं।
सिरिसेना जहां सुधार को समर्थन दे रहे हैं, उनकी पार्टी ने इसको लेकर कुछ चिंता जाहिर की है, जिससे इसमें देरी हुई है। उनकी सरकार ने गुरुवार को 100 दिन पूरे कर लिए हैं।
विदेश उपमंत्री और यूएनपी विधायक अजित परेरा ने कहा कि यूएनपी ने संसद में संवैधानिक सुधार को पारित कराने के लिए जनवरी में सिरिसेना को राष्ट्रपति के रूप में समर्थन दिया।
परेरा ने कहा कि अगर राष्ट्रपति अगले सप्ताह तक अपनी पार्टी का समर्थन हासिल नहीं कर पाते हैं, तब उन्हें संसद को भंग करना पड़ेगा और नई सरकार के लिए चुनाव कराना होगा।
यूएनपी के सांसद ने कहा कि राष्ट्रपति को यह जनादेश संविधान के 19वें संशोधन के क्रियान्वयन के लिए दिया गया है और अगर इसे पूरा नहीं कर सकते, तब संसद को भंग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
इस बीच, एसएलएफपी ने कहा कि नई सरकार 100 दिन के अंदर अपने करीब सारे वादों को पूरा करने में नाकाम रही है, जो इसने चुनाव के दौरान किया था।
एसएलएफपी महासचिव अनुरा प्रियदर्शना यापा ने सरकार पर भ्रष्टाचार के मामले की जांच में विपक्षी नेताओं की तलाश करने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक, यह एसएलएफपी और पार्टी के अन्य नेताओं को नुकसान पहुंचाएगा।