धर्मशाला । लक्ष्मी-नारायण मंदिर कोतवाली बाजार धर्मशाला में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के दूसरे दिन पंडित शिव कुमार दैवेज्ञ ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान न तो पैदा होते हैं और न ही आलोप, वह तो भक्तों के कारण ही समय-समय पर अवतार लेते हैं।
उन्होंने कहा कि संतों के संग से दासी पुत्र नारद को अगर भगवान की प्राप्ति हो सकती है तो आप और हम भी भक्ति व सत्संग से भगवान को पा सकते हैं।
परीक्षित के जन्म के संबंध में पांडवों की कथा सुनाई। पांडवों द्वारा भीष्म पितामाह से ज्ञान ग्रहण करना तथा भगवान कृष्ण को द्वारिका गमन व अभिमन्यु पत्नी उतरा का प्रसंग सुनते ही भक्तजनों की आंखें भर आई। उन्होंने कहा कि भक्तों की रक्षा करने भगवान गर्भ में भी प्रवेश करने से संकोच नहीं करते। उतरा के गर्भ भगवान गर्भवस्थ प्राणी की रक्षा के लिए प्रवेश कर गए। यह बड़ी बात नहीं है लेकिन यह बात बड़ी महत्व की है कि वह प्राणी कितना भाग्यशाली होगा कि जो अभी संसार में नहीं आया पर भगवान उसे दर्शन देने के लिए गर्भ में जाना पड़ा।
पंडित शिव कुमार दैवेज्ञ ने कहा कि संत समागम से ही भगवान की कृपा प्राप्ति होती है। कथा मनुष्य के जीवन का मार्गदर्शन करती है व संत कृपा से भगवान का साक्षात्कार हो जाता है।