लखनऊ, 10 मई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में सहयोगी दलों के साथ मिलकर लोकसभा की 73 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश में लागातार हार का स्वाद चख रही है। इससे प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। निशाने पर पार्टी के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल भी हैं। उन पर ‘हिटलरशाही’ का आरोप लग रहा है। इस पर बंसल का कहना है, “संगठन में सबको खुश करने नहीं, काम करने आया हूं।”
सुनील बसंल ने आईएएनएस से बातचीत में उप्र संगठन से जुड़े मुद्दों और जम्मू एवं कश्मीर मसले पर काफी विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। बसंल ने साफतौर पर कहा कि कार्यकर्ताओं व पार्टी के सांसदों को समय न देने की जो चर्चाएं हो रही हैं, वे सही नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “मैं संगठन में सबको खुश नहीं रख सकता। पार्टी कार्यालय पर जब तक रहता हूं, कार्यकर्ताओं से मिलता ही हूं। लखनऊ में गणेश परिक्रमा करने वाले बहुत हैं, इसलिए मैं आमतौर पर लखनऊ से बाहर ही अपना प्रयास रखता हूं और कोशिश करता हूं कि ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं से मिल सकूं।”
ज्ञात हो कि प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि संगठन महामंत्री बंसल ने कार्यकर्ताओं से दूरी बना ली है और यहां तक की वह सांसदों को भी समय नहीं दे रहे हैं।
सूत्रों की माने तो कुछ सांसदों ने उनके इस रवैये की शिकायत राष्ट्रीय नेताओं से भी की है।
बंसल कहते हैं, “मैं पूरी शिद्दत से मिशन 2017 में जुटा हुआ हूं। भाजपा उप्र में अब तक एक करोड़ 83 लाख लोगों को अपना सदस्य बना चुकी है। इस समय उप्र में महासंपर्क अभियान चल रहा है और इसके तहत जगह-जगह कार्यकर्ताओं की कार्यशालाएं आयोजित कराई जा रही हैं। जल्द ही उनका प्रशिक्षण भी शुरू किया जाएगा।”
उप्र में उपचुनावों में पार्टी को लगातार मिल रही हार पर बंसल ने कहा कि उपचुनाव सरकार के पक्ष में जाते ही हैं। इसमें घबराने वाली बात नहीं है।
उन्होंने कहा, “भाजपा को सफलता न मिलने की दो वजहें हैं। पहली, उपचुनाव में सरकार अपनी मशीनरी का इस्तेमाल करती है और दूसरा यह है कि बसपा के चुनाव न लड़ने की वजह से उसका सारा वोट बैंक दूसरी ओर शिफ्ट हो गया। सभी दल जब मैदान में होंगे तो लड़ाई त्रिकोणीय और रोचक होगी।”
सुनील बसंल ने हालांकि बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उप्र में भी कार्यकर्ताओं की नेताओं व सांसदों से अपेक्षाएं काफी बढ़ गई हैं।
यह पूछे जाने पर कि जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की क्या मजबूरी थी, उन्होंने कहा कि जम्मू व कश्मीर में कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर गठबंधन की सरकार बनाने का फैसला किया गया था।
बंसल ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में कई मुद्दों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने पीडीपी के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया। इसमें सबसे अहम यह था कि यदि कश्मीर में भाजपा के सहयोग के बिना कोई सरकार बनती तो जम्मू संभाग का प्रतिनिधित्व ही खत्म हो जाता। जम्मू क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बना रहे और उसके साथ कोई भेदभाव न हो, इसको ध्यान में रखकर मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया गया।”
उप्र भाजपा के संगठन महामंत्री ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में पिछले कई दशकों से परिसीमन नहीं हुआ है। इस वजह से वहां जम्मू और घाटी के बीच सीटों को लेकर काफी असमानता बनी हुई है। मिलकर सरकार बनाने का एक उद्देश्य यह भी था कि सरकार बनने के बाद वहां जल्द से जल्द परिसीमन कराया जाएगा, ताकि घाटी और जम्मू के बीच सीटों की असमानता खत्म हो सके।