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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला जा सकता है संविधान पीठ

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि महिलाओं को बराबर के संवैधानिक अधिकार के सवाल को वह बड़ी संविधान पीठ को भेज सकता है। सवाल है कि क्या इस मुद्दे को सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक उम्र वाली महिलाओं को प्रवेश नहीं देने के धार्मिक आस्थाओं और प्रथाओं का विरोध करने के लिए उठाया जा सकता है?

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि महिलाओं को बराबर के संवैधानिक अधिकार के सवाल को वह बड़ी संविधान पीठ को भेज सकता है। सवाल है कि क्या इस मुद्दे को सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक उम्र वाली महिलाओं को प्रवेश नहीं देने के धार्मिक आस्थाओं और प्रथाओं का विरोध करने के लिए उठाया जा सकता है?

इस सवाल पर अदालत सात नवंबर को विस्तृत दलीलें सुनेगी कि क्या संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मिले कानून के समक्ष बराबरी के अधिकार का संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत विवेक एवं पेशा, अभ्यास एवं धार्मिक प्रचार की आजादी की गारंटी एवं अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की आजादी की गारंटी को देखते हुए उपयोग किया जा सकता है?

इस तरह का मुद्दा कभी नहीं उठा था यह उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और सी नागाप्पन की पीठ ने कहा कि पीठ इस मामले को संविधान पीठ के हवाले करने के लिए दलीलें सुनेगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल देवासम बोर्ड की ओर से पेश हुए और उन्होंने इस मुद्दे पर बहुत सावधानी से विचार करने का आग्रह किया। इसी के बाद पीठ ने दलीलें सुनने का निर्णय लिया। वेणुगोपाल ने कहा कि इस मुद्दे से केरल की जनता का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होता है।

सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद अन्य अधिवक्ताओं ने भी कहा कि पीठ को मंदिर के देवता की इच्छा पर विचार करना चाहिए।

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