नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह सम-विषम योजना को 15 दिन की परीक्षण अवधि से अधिक समय तक जारी रख सकती है।
दिल्ली सरकार के वकील हरीश साल्वे ने वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सम-विषम योजना का अदालत में बचाव किया। उन्होंने कहा कि इसका “स्पष्ट सकारात्मक असर” हुआ है और योजना “दो सप्ताह बाद भी जारी रह सकती है।”
साल्वे ने पर्यावरण प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) के पहली जनवरी के बाद के वायु प्रदूषण से संबंधित आंकड़े अदालत में पेश किए। उन्होंने कहा, “इस बार जाड़े में एक दिन भी हवा की गुणवत्ता अच्छी नहीं रही है। प्रदूषण ऐसे जाने वाला नहीं है। सम-विषम योजना वायु प्रदूषण के चरम पर पहुंचने की वजह से किया गया एक आपात उपाय है।”
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने सरकार की पहली से लेकर आठ जनवरी तक के बीच की वायु प्रदूषण रपट का संज्ञान लिया। अदालत ने कहा कि वह इस मामले में 11 जनवरी को आदेश पारित करेगी।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय और आम आदमी पार्टी के नेता आशीष खेतान अदालत में मौजूद थे।
सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त बसें खरीदी जाएंगी।
अदालत ने इससे पहले सरकार से पूछा था कि क्या सम-विषम पंजीकरण संख्या वाली कारें चलाने की योजना 15 दिन से घटाकर एक सप्ताह के लिए की जा सकती है। अदालत ने पूछा था कि 15 दिन की जरूरत क्यों है। क्या इससे बेहतर तरीका (प्रदूषण नियंत्रण का) नहीं हो सकता?
सरकार का दावा है कि पहली जनवरी को योजना के लागू होने के बाद से दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी आई है।
अदालत सम-विषम योजना के खिलाफ दायर 12 जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। इनमें यह भी पूछा गया है कि रोक के बावजूद डीजल से चलने वाली टैक्सियां राजधानी में क्यों चल रही हैं?