रायबरेली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उप्र में 73 सीटों पर जीत हासिल की हो, लेकिन कांग्रेस की परंपरागत सीट रायबरेली से उन्हें निराशा मिली थी। सोनिया स्वास्थ्य कारणों से अपने संसदीय क्षेत्र में कम सक्रिय रही रहीं, फिर भी रायबरेली में उनका सिक्का बरकारार है। अभी उनकी बेटी प्रियंका गांधी ने रायबरेली में सोनिया के भेजे संदेश को पढ़कर लोगों में भावनात्मक प्यार जगा दिया है।
रायबरेली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उप्र में 73 सीटों पर जीत हासिल की हो, लेकिन कांग्रेस की परंपरागत सीट रायबरेली से उन्हें निराशा मिली थी। सोनिया स्वास्थ्य कारणों से अपने संसदीय क्षेत्र में कम सक्रिय रही रहीं, फिर भी रायबरेली में उनका सिक्का बरकारार है। अभी उनकी बेटी प्रियंका गांधी ने रायबरेली में सोनिया के भेजे संदेश को पढ़कर लोगों में भावनात्मक प्यार जगा दिया है।
वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी कांग्रेस के पुराने साथी और एमएलसी दिनेश सिंह को पार्टी में शामिल कराकर सेंधमारी की है। अमित शाह ने खुद रैली कर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायबरेली में आधुनिक रेल कोच कारखाने और 558 करोड़ रुपये की लागत से बने रायबरेली-बांदा हाइवे का भी लोकार्पण कर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है।
यहां के लोगों में सोनिया गांधी से भावनात्मक लगाव है। कांग्रेस के समय में हुए विकास कार्य ही इस लगाव का मजबूत आधार है। शायद यही वजह है कि भाजपा के लिए रायबरेली सीट से जीत का लक्ष्य हासलि करना आसान नहीं है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक परितोष सिंह कहते हैं कि रायबरेली में कांग्रेस बहुत मजबूत है। भाजपा की कांग्रेस से सीधी लड़ाई है। सोनिया गांधी के कामों का यहां अभी तक कोई तोड़ नहीं है। प्रदेश सरकार ने यहां बहुत तेजी दिखाई है। लोगों को खुद से जोड़ने का प्रयास किया है, लेकिन यह मत में कितना परिवर्तित होगा, यह चुनाव के बाद पता चलेगा।
उन्होंने कहा कि एनटीपीसी, सीमेंट फैक्ट्री, रेल कोच फैक्ट्री, आईटीआई जैसी तमाम इकाइयां और उद्योग लगाकर कांग्रेस ने रायबरेली के लोगों को रोजगार दिया है। फुरसतगंज में हवाईपट्टी तो है ही, विमान प्रशिक्षण स्कूल भी है। रायबरेली में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट जैसा उच्चस्तरीय संस्थान इस इलाके पर गांधी परिवार के प्रभुत्व को दर्शाने के लिए काफी है। हां, एम्स के यहां देर से आने की बात से लोग जरूर परेशान हैं।
रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के तहत आनेवाले पांच विधानसभा क्षेत्र- रायबरेली सदर, करेली, बछरांवा, हरचंदपुर व ऊंचाहार में से दो सीटें भाजपा के पास हैं। दो कांग्रेस और एक सपा के पास है। पिछली बार ‘मोदी लहर’ के बावजूद इन सभी विधानसभा क्षेत्रों से सोनिया गांधी को एक लाख से ज्यादा वोट मिले थे।
वहीं, भाजपा एम्स में ओपीडी शुरू कराने, रेल कोच फैक्ट्री में कोच की क्षमता बढ़वाने के अलावा कोई दूसरी उपलब्धि नहीं गिना पाएगी। लोकसभा चुनाव के बाद यहां किसी बड़े नेता का सक्रिय न रहना भी भाजपा की कमजोरी मानी जा रही है।
परितोष सिंह ने बताया कि 24,03,705 जनसंख्या वाले रायबरेली में 89 फीसद ग्रामीण और 11 फीसद शहरी हैं। 90-95 प्रतिशत हिंदू, 05 से 10 फीसद मुस्लिम, 30़38 फीसद अनुसूचित और 0़ 06 फीसद अनुसूचित जनजति के मतदाताओं को रिझाने में भाजपा-कांग्रेस दोनों ने ताकत झोंकी है। अपने-अपने राग अलाप रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रायबरेली से सटे देदौर के ग्रामीण आवारा पशुओं से त्रस्त हैं। फसल का नुकसान हो रहा है।
रायबरेली के इमरान तो इस क्षेत्र में सपा-बसपा का प्रत्याशी न होने का सीधा फायदा कांग्रेस को होना बता रहे हैं। इनका मानना है कि लगभग 99 प्रतिशत मुस्लिम-दलित के वोट कांग्रेस को जाएंगे।
बंछरावा के राधेश्याम एयर स्ट्राइक से दुश्मन देश के छक्के छुड़ाने वाले मोदी में ही देश का भला करने की क्षमता मानते हैं, तो रामकांत की नजर में सोनिया यहां काफी लोकप्रिय हैं।
भाजपा के जिलाध्यक्ष रामदेव पाल ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार बनने के बाद यहां की मूलभूत जरूरतों, जैसे सड़क, पानी, बिजली पर खास फोकस है। अधिक रोजगार सृजन के लिए रेलवे कोच फैक्ट्री की क्षमता बढ़ाना और एम्स ओपीडी शुरू कर हर गरीब को इलाज की सुविधा देने का काम हुआ है। अन्य कार्य भी गति पर हैं।
इधर, सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने भाजपा पर रायबरेली के साथ सौतेला व्यवहार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के सारे विकास कार्यो पर ब्रेक लगा है। ऐसे लगभग तीन दर्जन बड़े काम हैं, जिन पर मोदी सरकार ने रोक लगाई है। उनका पत्रक छपाकर बांटा जा रहा है।
रायबरेली सीट 13 बार से कांग्रेस के पास रही है। दो बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने यहां जीत दर्ज की है। सोनिया गांधी तीन बार लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव में विजयी रही हैं। वर्ष 2014 में सोनिया गांधी को 5 लाख 26 हजार 434 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी अजय अग्रवाल को 1 लाख 71 हजार 7 सौ 21 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था।