नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस ने बुधवार को सरकार की ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना का श्रेय लेने की कोशिश करते हुए कहा कि इस योजना का नीतिगत खाका हमने तैयार किया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस योजना का श्रेय हमें दिया है।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, “मोदी सरकार 16 जनवरी को स्टार्टअप इंडिया नीति की घोषणा करने जा रही है। हमेशा की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस द्वारा शुरू की गई योजनाओं की रिपैकेजिंग कर उसका श्रेय लेंगे। लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि इस योजना का खाका कांग्रेस ने खींचा था।”
उन्होंने कहा कि साल 2004 से 2014 के दौरान भारत में 4000 कंपनियों ने विदेशी निवेश हासिल किया जिसमें से कम से कम 2000 स्टार्टअप कंपनियां हैं। आज भारत स्टार्टअप कंपनियों के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। यह मोदी के स्टार्टअप इंडिया नारे के पहले से ही हो रहा है।
कांग्रेस ने इसके अलावा भारतीय जनता पार्टीनीत सरकार को स्टार्टअप में तेजी लाने के लिए कुछ सलाहों पर विचार करने को कहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सबसे पहले तो सरकार को इंटरनेट निरपेक्षता के संदर्भ में ठोस और स्पष्ट नीति तैयार करनी चाहिए। ताकि बड़ी कंपनियां छोटी स्टार्टअप कंपनियों का रास्ता नहीं रोक सके। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी को इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराए। इसके लिए एक तारीख की घोषणा करे कि उस दिन तक सभी भारतीय को इंटरनेट मुहैया करा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत खर्च किए जाने धन को भी स्टार्टअप के लिए मुहैया कराया जा सकता है। साथ ही सभी सरकारी इमारतों, सरकारी विश्वविद्यालयों और स्कूलों को स्टार्टअप के लिए जगह और बिजली के साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी भी मुहैया करवानी चाहिए।
रमेश ने कहा कि भारत में स्टार्टअप को पेटेंट संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें इसके पंजीकरण से लेकर अपने बौद्धिक संपदा अधिकार की रक्षा में भी परेशानी आती है। इसे दूर किए जाने की जरूरत है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को सिर्फ सामाजिक क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप को ही प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से धन मुहैया कराना चाहिए। नहीं तो यह करदाताओं के पैसे की बरबादी होगी।
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-दो की सरकार के दौरान नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन की स्थापना की गई थी। वहां से निकले अर्धकुशल और कुशल मानव संसाधन को इन स्टार्टअप में शामिल करना चाहिए।
रमेश ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री देश के स्टार्टअप उद्यमियों से मिलने की बजाए सिलिकॉन वैली के उद्यमियों से मिलने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। अब जाकर उनको यह महसूस हुआ है कि हमारे देश में रोजगार इन्हीं स्टार्टअप से पैदा होगा न कि सिलिकन वैली के उद्यमियों से।”