डॉ. सिंह ने राजधानी रायपुर के नजदीक ग्राम जोरा में तीन दिवसीय राष्ट्रीय किसान मेले का शुभारंभ करते हुए इस आशय पर विचार व्यक्त किए। मेले का आयोजन राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से किया गया है।
शनिवार को शुरू हुए मेले में उन्होंने कहा, “वास्तव में हमारे राज्य के किसान सबसे बड़े कृषि वैज्ञानिक हैं। किसानों की मेहनत की बदौलत ही हम चावल निर्यात के बाद अब फल और सब्जी निर्यात करने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कुपोषण से मुक्ति पाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा हाल ही में विकसित की गई धान की नई प्रजाति ‘छत्तीसगढ़ जिंक राइस-1’ भी किसानों को समर्पित की।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित किसान मेले के इस शुभारंभ समारोह में रायपुर के लोकसभा सांसद रमेश बैस, संसदीय सचिव तोखन साहू, विधायक देवजीभाई पटेल, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक बजाज और छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष रसिक परमार विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ. रमन सिंह ने मेले में आए किसानों और ग्रामीणों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेले में पिछले पंद्रह साल में कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में हुई। तरक्की को देखने-परखने का अच्छा अवसर मिला है।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों को मिट्टी परीक्षण के साथ आधुनिक खेती के सभी नमूने यहां दिखाएं जाएंगे। उन्होंने कहा कि राजधानी से बाहर सभी कृषि विकास केंद्रों में भी कृषि गोष्ठियां आयोजित कर किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। सूखे की हालात में कम पानी से कैसे ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है, इसकी जानकारी भी यहां दी जाएगी।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि तीन दिनों में लगभग 50 हजार से ज्यादा किसान इस मेले का अवलोकन करेंगे। देश-दुनिया में हो रहे बदलावों का उन्हें प्रत्यक्ष देखने और सुनने का अवसर मिलेगा।
अपर मुख्य सचिव और कृषि उत्पादन आयुक्त अजय सिंह ने स्वागत भाषण दिया और प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष संजीव पुरी ने भी शुभारंभ समारोह में अपने विचार व्यक्त किए।