नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने सोमवार को कहा कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक किसानों की जरूरतें पूरी करने में भली भांति सक्षम हैं।
हरित जलवायु निधि संबंधित निजी क्षेत्र की एक इकाई की कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए दवे ने यहां कहा कि जलवायु परिवर्तन को केवल वित्तीय संसाधनों से नहीं सुधारा जा सकता।
उन्होंने साफ और हरित निवेश के लिए वित्तीय संसाधनों के इस्तेमाल पर जोर दिया और कहा कि योजना प्रक्रिया में हितधारकों की अधिक से अधिक भागीदारी होनी चाहिए।
कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नबार्ड) ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव रविशंकर प्रसाद ने जलवायु वित्त के तहत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का विवरण दिया और हरित जलवायु निधि प्रणाली के महत्व पर बल दिया। उन्होंने हरित जलवायु निधि के तहत प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का भी विवरण दिया।
नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक एच.आर.दवे ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जलवायु, वित्त संसाधनों के क्षेत्र में नाबार्ड की भूमिका प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस समय हरित जलवायु निधि के तहत अधिक प्रभावशाली परियोजनाओं की आवश्यकता है। दवे ने कहा कि इसके लिए नाबार्ड हर संभव सहायता प्रदान करेगा।