चंडीगढ़, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। पंजाब में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पिछले हफ्ते गुरुवार तक राजनीति चरम पर थी। लेकिन, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने अब इस सीमाई राज्य का ध्यान राजनीति से हटा दिया है।
चंडीगढ़, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। पंजाब में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पिछले हफ्ते गुरुवार तक राजनीति चरम पर थी। लेकिन, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने अब इस सीमाई राज्य का ध्यान राजनीति से हटा दिया है।
पिछले कुछ माह से राज्य में सभी बातें राजनीतिक हो रही थीं। मसलन, शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन को चुनौती देने वाली नई पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्षी कांग्रेस अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दलों को चुनौती दे पाएंगी या नहीं?
लेकिन, अब पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसे तनाव को पंजाब के चेहरे पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। खासकर जिन जिलों की सीमाएं पाकिस्तान से लगी हैं, वहां राजनीति पीछे चली गई है।
अकाली दल-भाजपा और कांग्रेस पर ‘आप’ के बढ़ते हमले, चौथा मोर्चा शुरू करने की कवायद, भाजपा के पूर्व नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू का भविष्य और ऐसे ही कई अन्य राजनीतिक मुद्दे पीछे चले गए हैं, क्योंकि पाकिस्तान के साथ युद्ध की बात ने गति पकड़ ली है।
जो नेता पिछले हफ्ते तक एक दूसरे की आलोचना करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे थे, वे अब भारत-पाकिस्तानतनाव को लेकर शांत पड़ गए हैं।
गुरुवार को गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से कहा कि पाकिस्तान से लगी पंजाब की 553 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के इलाके को खाली कराया जाए।
छह सीमाई जिलों अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का से चार लाख से भी अधिक लोगों के हटाए जाने ने बाकी सभी बातों को पीछे छोड़ दिया है।
यहां तक कि आम आदमी पार्टी के पूर्व संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर ने शनिवार को अपनी नई राजनीतिक पार्टी, अपना पंजाब पार्टी (एपीपी) की शुरुआत भी सीमा पर तनाव के मद्देनजर बिना किसी तामझाम के की।
राजनेताओं ने अपना भाषण बदल कर उसे सीमा की स्थिति से जोड़ लिया है।
पंजाब के आप के संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी ने कहा, “अकाली दल की सरकार ने सीमाई इलाकों से खाली कराए गए ग्रामीणों के रहने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है। पंजाब सरकार सीमाई जिलों में बेवजह तनाव पैदा कर रही है। यह विधानसभा चुनाव स्थगित करने का एक प्रयास हो सकता है।”
कांग्रेस के नेताओं ने भी बादल सरकार पर भय पैदा करने का आरोप लगाया है।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने कहा कि सीमाई इलाकों के लोगों को इलाका खाली कराने के नाम पर परेशान किया जा रहा है। प्रशासन प्रभावित गांवों के लोगों को मदद करने में नाकाम है।
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि लोगों में भय और घबराहट की जगह विश्वास भरने की जरूरत है।
पंजाब सरकार ने कहा है कि सीमा पर हुई हाल की घटनाओं को लेकर किसी तरह की कोई बेचैनी नहीं है।
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि पंजाब के सीमाई इलाकों के बहादुर लोग सीमा पर तनाव की वजह से बहुत तकलीफ का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय में देश उनके साथ खड़ा है।
अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।