नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुलभ स्वच्छता एवं सामाजिक सुधार आंदोलन के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने रविवार को यहां कहा कि स्वच्छता का मिशन सिर्फ तत्काल समस्याओं के हल के लिए की जाने वाली कार्रवाई से ही सफल नहीं हो सकता, बल्कि स्वच्छता की आदतों और व्यवहार को गहराई से अपनाकर ही इसे सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्थायी बदलाव के लिए संस्कृति में बदलाव लाया जाना चाहिए।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए ) के ‘स्वच्छ सृष्टि’ अभियान के उद्घाटन अवसर पर पाठक ने कहा, “सांस्कृतिक बदलाव मुश्किल नहीं है। पुरातात्विक सबूत से पता चलता है कि इतिहास में मोहनजोदड़ो और हड़प्पा काल के शुरुआती भारतीयों के पास बेहतर सीवेज प्रणाली वाले स्वच्छ और सुव्यवस्थित शहर थे। लेकिन समाज और समुदायों में जातिप्रथा शुरू होने के बाद बदलाव आ गया और सामाजिक पदानुक्रम में नीचे की जाति को साफ-सफाई के कार्य में लगा दिया गया।”
उन्होंने कहा कि 1970 में स्थापित उनके संगठन का मुख्य उद्देश्य सिर पर मैला ढोने की प्रथा में शामिल मेहतर को इस कार्य से मुक्ति दिलाना और उनका पुनर्वास करना है।
सुलभ ने देश के विभिन्न भागों में 15 लाख घरेलू शौचालयों का निर्माण किया है, जिनमें 8,500 सामुदायिक, सार्वजनिक शौचालय और 16,000 विद्यालय शौचालय शामिल हैं।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र राष्ट्रीय स्वच्छ भारत अभियान के समर्थन में एक सप्ताह का अभियान चला रहा है। महात्मा गांधी की जयंती और स्वच्छ भारत अभियान के शुभारंभ के दूसरे वर्ष के अवसर पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है, जिसमें पद्मश्री से सम्मानित अरुणाचलम मुरुगननथम सहित विषेशज्ञों द्वारा वार्ता और स्कूली बच्चों के लिए एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने गांधी जी के द्वारा साफ-सफाई और स्वच्छता पर बल देने और इसके बारे में जनता को शिक्षित करने के उनके प्रयासों को याद करने का आह्वान किया।
आईजीएनसीए के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने कहा, “स्वच्छ सृष्टि अभियान का मुख्य उद्देश्य इस बात पर ध्यान केंद्रित करना है कि हमारे दैनिक जीवन में अंतर्निहित ‘स्वच्छता’ की अवधारणा से हमारे कुछ दैनिक दिनचर्या में किस प्रकार स्थाई बदलाव आता है और इससे महत्वपूर्ण मिशन को प्राप्त करने में किस प्रकार मदद मिलती है।”
स्वच्छ भारत अभियान के तहत, भारत सरकार ने 2019 तक खुले में शौच की प्रथा समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।
सुलभ इंटरनेशनल की ओर से समकालीन समय में स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व पर आईजीएनसीए में एक प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। यह सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा।
सुलभ सैनिटेशन क्लब में शामिल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों के छात्र स्वच्छ सृष्टि कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। देश भर में ऐसे 174 क्लब हैं और 5000 से अधिक क्लब के सदस्य मासिक धर्म स्वच्छता, सामान्य स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे स्कूल स्वच्छता में सक्रिय रूप से सहायता कर रहे हैं। ये क्लब सैनिटरी नैपकिन बनाने और वितरित करने और इस्तेमाल किए गए नैपकिन को नष्ट करने में मदद करते हंै।