दुर्गावती (70) कहती हैं कि महावीर दूबे नामक व्यक्ति ने हजार रुपये का बेनामा अपनी पत्नी के नाम पर बनाकर उन पर केस कर दिया था। जिसका उन्हें कोई नोटिस और समन नहीं मिला। इसके कारण ही उन्हें काफी समय तक इसकी जानकारी नहीं थी।
दुर्गावती आगे कहती हैं, “वे लोग अमीर हैं और मैं अकेली और गरीब औरत हूं। मैंने डीएम, एसपी से लेकर कोतवाली, थाना, तहसील, हर जगह अपनी बात बताई, पर कहीं भी मेरी सुनवाई नहीं हुई।”
जबकि बचाव पक्ष के शिव प्रकाश कुमार मिश्र का कहना है, “वह जिस वसीयत पर दावा कर रही हैं, वह वसीयत ही गलत है। क्योंकि उनके पति 1982 में मर गए थे, जबकि यह वसीयत 1984 में बनाई गई है।”
बचाव पक्ष के ही डी.सी. दूबे ने कहा, “वह खेत पर दावा वसीयत के आधार पर कर रही हैं और हम लोग बैनामे से दावा कर रहे हैं। यह बैनामा हमने उनके बड़े बेटे सत्यप्रकाश से कराया था। 1989 में जब उनके घर का बंटवारा हुआ तो जायदाद बच्चों के नाम आ आई। बड़े बेटे ने इस जमीन को बेच दिया। पर वह इस समय नोटरी वसीयत के आधार पर दावा कर रही हैं। उन्होंने वसीयत 1984 में बनाई थी।”
अकबरपुर के जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह ने इस मामले पर कहा, “इस जमीन पर स्थगन के आदेश हैं और जब तक न्यायालय आदेश नहीं देता, तबतक यह जमीन खाली ही पड़ी रहेगी। दोनों पक्षों में से कोई भी इस जमीन पर जुताई या बुआई नहीं कर सकता है।”