अनिल सिंह (भोपाल)– प्रेस के विरोध में आसाराम बापू के समर्थकों ने जनता के बीच जा कर चुपचाप घेराबंदी शुरू की है,भोपाल स्थित उनके आश्रम से जुड़े भक्त जो राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख रखते हैं उन्होंने अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में मौखिक प्रचार के रूप में डैमेज कन्ट्रोल शुरू किया है।
आश्रम से मिलते हैं इन्हें सन्देश
किस तरह से लोगों के बीच उपजे संदेशों को भ्रामक बताया जाय इन्हें निर्देशित किया जाता है और ये एजेंट उस कार्य को अंजाम दे रहे हैं।जो व्यक्ति राजनैतिक दलों से जुड़े हैं वे अपने प्रभाव क्षेत्र में चर्चा शुरू करते हैं और लोगों को विश्वास में लेने की पुरजोर कोशिश करते हैं मतलब जो जिस क्षेत्र से जुड़ा है उसे उसके प्रभाव क्षेत्र में कार्य करने का निर्देश है।
जो आसाराम मीडिया के विरोधी थे अब मीडिया का दोस्त होना बता रहे हैं
इनके कार्यालय ने अपनी वेब के जरिये अपनी बात कहना और सफाई देना शुरू किया है,ये बार-बार आरोप लगाते हैं कि मीडिया ने भ्रामक दुष्प्रचार किया है अतः अब ये उसी माध्यम को डैमेज कंट्रोल के रूप में इस्तेमाल कर रहे है .
आसाराम को हुई ‘पीडोफिलिया’ बीमारी का स्पष्टीकरण दिया गया
आश्रम की वेब पर आसाराम के समर्थन में हुए सभी प्रदर्शनों और स्पष्टीकरण को प्रदर्शित किया गया है।
पूज्य बापूजी को ‘पीडोफिलिया’ बीमारी
होने के दुष्प्रचार की पोल-खोल
1 अक्टूबर को टीवी चैनलों व 2 अक्टूबर को अखबारों द्वारा प्रचारित झूठी खबर कि बापूजी को पीडोफिलिया की बीमारी है, उसके सन्दर्भ में स्पष्टीकरण :
सरकारी वकील के सहयोगी वकील जो कि शिकायतकर्त्री के भी वकील हैं, उन्होंने कोर्ट में पीडोफिलिया की जो बात कही थी, उसका मीडिया के सामने स्पष्टीकरण करते हुए कहा कि “जिसके ऊपर ऐसे आरोप लगते हैं उसे पीडोफिलिया (बाल यौन शोषण से संबंध रखनेवाली बीमारी) हो सकता है, ऐसा हमने कहा था । हमने पीडोफिलिया का आरोप नहीं लगाया है ।”
पीडोफिलिया’ की बात केवल उक्त वकील के दिमाग व समझ की महज एक उपज थी, उसमें कोई भी तथ्य नहीं था । उनकी बात की पुष्टि के लिए उनके पास कोई ठोस सबूत (मेडिकल रिपोर्ट) नहीं था ।
दूसरा, न्यायालय के द्वारा नियुक्त बोर्ड के द्वारा बापूजी की मेडिकल जाँच की गयी तब उसी बोर्ड के द्वारा दी गयी रिपोर्ट के अनुसार पूज्य बापूजी मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं ।
वास्तविकता यह होते हुए भी कुछ मीडिया ने खबर फैलायी कि ‘सरकारी वकील ने कोर्ट में बापूजी की मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जिसके मुताबिक वे पीडोफिलिया नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं।’
पूज्य बापूजी को पीडोफिलिया होने की तथा सरकारी वकील द्वारा ऐसी मेडिकल रिपोर्ट पेश करने की खबर बिल्कुल बेबुनियाद व मनगढ़ंत है ।
ये सब प्रयास प्रदर्शित करते हैं कि आश्रम के योजनाकारों ने मीडिया को ही अपना साधन बनाया है वापस अपनी खोयी हुई साख को लाने का।देखें आगे क्या होता है तथा ऊंट किस करवट बैठता है लेकिन यह तो पक्का है कि इनके इस व्यवसाय का नुकसान इतना अधिक हो गया है की वापसी मुश्किल लगती है।